रूस द्वारा अनाज समझौते से हटने के बाद पहली बार एक मालवाहक जहाज सुरक्षित रूप से काला सागर से होकर गुजरा है।
इसे रूस के लिए सीधी चुनौती मानी जा रही है। इस मालवाहक जहाज ने बंदरगाहों पर रूसी घेराबंदी को तोड़ दिया।
जहाज ने यूक्रेन द्वारा स्थापित शिपिंग कॉरिडोर (गलियारे) का इस्तेमाल करके तुर्की तक काला सागर में सफलतापूर्वक यात्रा की है। समुद्री ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म मरीनट्रैफिक से पता चलता है कि इस जहाज का मालिकाना हक जर्मनी और चीन के पास है।
इसका नाम जोसेफ शुल्ते (Joseph Schulte) है। फिलहाल ये हांगकांग के झंडे तले माल की ढुलाई कर रहा है। इस कंटेनर जहाज का साइज लगभग 1,000 फुट लंबा है। यह शुक्रवार तड़के सुबह तुर्की के बोस्फोरस स्ट्रेट पहुंचा। बता दें कि तुर्की एक नाटो देश है।
डेढ़ साल से फंसा हुआ था जहाज
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यह जहाज यूक्रेन के दक्षिणी बंदरगाह ओडेसा में करीब डेढ़ साल से फंसा हुआ था। रूस द्वारा पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू करने से एक दिन पहले ही यह यूक्रेनी बंदरगाह पहुंचा था। अब यह जहाज रूसी नाकाबंदी को तोड़ते हुए वापस आ गया है।
जहाज की वापसी कीव समर्थित “मानवीय गलियारे” की शर्तों के तहत हुई है। रूसी हमले की आशंका के बीच “मानवीय गलियारे” को सुरक्षित मार्ग की गारंटी देने के लिए डिजाइन किया गया है।
यूक्रेनी नौसेना के अनुसार, शिपिंग लेन का इस्तेमाल “मुख्य रूप से नागरिक जहाजों के लिए किया जाएगा। ये जहाज रूस द्वारा पूर्ण पैमाने पर आक्रमण की शुरुआत के बाद से चोर्नोमोर्स्क, ओडेसा और पिवडेनी जैसे यूक्रेनी बंदरगाहों में खड़े हैं।
” यूक्रेन ने पिछले महीने मुख्य अनाज निर्यात समझौते की समाप्ति के बाद अपने बंदरगाहों में फंसे जहाजों को मुक्त करने के लिए काला सागर में “मानवीय गलियारा” की घोषणा की थी।
खामोश बैठा है रूस
यहां ये बताना जरूरी है कि रूस ने अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि वह इस शिपिंग कॉरिडोर का सम्मान करेगा या नहीं। ऐसे में इस कॉरिडोर से होकर गुजरने वाले जहाजों को हमले की आशंका का भी डर सता रहा है। यूक्रेन ने कहा कि गलियारे का इस्तेमाल मुख्य रूप से यूक्रेनी बंदरगाहों में फंसे जहाजों को निकालने के लिए किया जाएगा। हांगकांग के झंडे वाला जोसेफ शुल्ते 17 अगस्त, 2023 को ओडेसा के बंदरगाह से रवाना हुआ था। यह काला सागर में रूस को सीधे चुनौती देने वाला पहला जहाज है। रिपोर्टों से पता चला कि 18 अगस्त, 2023 को नाटो सदस्यों रोमानिया और बुल्गारिया के नियंत्रित वाले अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र से होकर यह इस्तांबुल में अपने अंतिम गंतव्य के करीब पहुंच रहा था।
समझौते से हट चुका है रूस
पिछले महीने रूस संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाले अनाज समझौते से हट गया था। इसके बाद रूस ने यूक्रेन बंदरगाहों पर हमले और बढ़ा दिए। यूक्रेनी बंदरगाहों पर रूसी हमले के चलते वहां करीब 32.9 मिलियन टन खाद्य पदार्थों फंसा हुआ है।
बता दें कि काला सागर अनाज समझौते के बारे में कहा जाता है कि इसी की वजह से यूक्रेन युद्ध के बावजूद दुनिया भुखमरी से बची रही।
समझौता तोड़ने के बाद से रूसी सेनाओं ने अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में आने वाले जहाजों के खिलाफ अपनी धमकियां बढ़ा दी हैं। देश के शीर्ष अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि “काला सागर के पानी से यूक्रेनी बंदरगाहों तक जाने वाले सभी जहाजों को सैन्य माल के संभावित जहाज माना जाएगा।” इसने अब तक कीव के शिपिंग कॉरिडोर को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।