केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लिया।
इस दौरान उन्होंने मणिपुर हिंसा समेत तमाम मुद्दों पर अपनी बात कही। गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि मणिपुर की घटना शर्मनाक है, लेकिन उस पर राजनीति करना उससे भी ज्यादा शर्मनाक है, सरकार की मंशा वहां जनसांख्यिकी में बदलाव करने की कतई नहीं है, ऐसे में सभी पक्षों को मिलकर उस राज्य में शांति बहाली की अपील करनी चाहिए।
उनके भाषण के बाद सदन में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने यहां तक कह दिया कि जो जवाब जिलाधिकारी को देना है, वह कोतवाल कैसे देंगे?
दरअसल, मणिपुर हिंसा पर कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग कर रही है। मॉनसून सत्र के शुरू होने पर पीएम मोदी ने वायरल वीडियो पर बयान दिया था, लेकिन कांग्रेस संसद में बयान की मांग कर रही है।
इसी वजह से जब आज अमित शाह ने अपना भाषण खत्म किया तो कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने फिर से पीएम मोदी के बयान की मांग की।
चौधरी ने कहा, ”हमें गृह मंत्री की काबिलियत पर कोई शक नहीं है, लेकिन जो जवाब जिलाधिकारी (डीएम) को देना है, वो कोतवाल कैसे देंगे?” इस पर सदन के उप-नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि गृह मंत्री शाह ने आज मणिपुर के मुद्दे पर अपने जवाब में विस्तार से जानकारी दी है और कल प्रधानमंत्री मोदी अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देंगे।
‘हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं’
लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर से जुड़े घटनाक्रम का ब्यौरा दिया और सरकार द्वारा वहां शांति स्थापित करने की दिशा में उठाये गए कदमों की जानकारी दी।
गृह मंत्री ने मणिपुर में सभी पक्षों से हिंसा छोड़ने की अपील की और कहा कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है। शाह ने कहा, ”वे विपक्ष की इस बात से सहमत हैं कि मणिपुर में हिंसा का तांडव हुआ, हिंसक घटनाएं हुईं।
वहां जो कुछ भी हुआ, वह शर्मनाक है। उस पर राजनीति करना उससे भी ज्यादा शर्मनाक है।” उन्होंने कहा कि वहां जो दंगे हुए वे परिस्थितिजन्य थे और इस पर राजनीति करना उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि जनता को पता चलना चाहिए कि मणिपुर में अतीत में भी किस तरह से नस्लीय हिंसा होती रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा वहां जनसांख्यिकी को बदलने की कतई नहीं है, इस विषय पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इन घटनाओं में किसी की जान गई है, तो किसी का सम्मान गया है।
मणिपुर पर संसद में शाह ने और क्या कहा?
गृह मंत्री ने कहा, ”कोई कितना भी दूर क्यों न हो, वह है तो भारत का नागरिक ही। इधर के और उधर के सभी लोगों को वहां शांति की अपील में साथ आना चाहिए।”
उन्होंने कहा, ” यह भ्रांति देश की जनता के सामने फैलाई गई है कि सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं है। मैं यह साफ करना चाहता हूं कि सत्र आहूत होने से पहले मैंने पत्र लिखकर मणिपुर पर चर्चा के लिए कहा था।”
शाह ने कहा कि मणिपुर में छह साल पहले भाजपा की सरकार बनी थी और तब से गत तीन मई तक वहां एक दिन भी हिंसा नहीं हुई, कर्फ्यू नहीं लगा, बंद नहीं हुआ और उग्रवादी घटनाएं भी कम हुईं।
मणिपुर के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि 2021 में म्यांमा में सैन्य शासन आया और इसके बाद वहां कुकी समुदाय पर शिकंजा कसा जाने लगा।
फिर वहां से भारी संख्या में कुकी आदिवासी मिजोरम और मणिपुर में आने लगे और वे जंगलों में बसने लगे। उन्होंने कहा कि इसके बाद मणिपुर के बाकी हिस्सों में असुरक्षा की भावना ने जन्म ले लिया।