उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन देश में हथियारों का प्रोडक्शन बढ़ाने में जोरशोर से लगा हुआ है।
इसी सिलसिले में वह वेपन फैक्टी का अचानक ही दौरा करने पहुंच गया। इस दौरान उसने खुद क्रूज मिसाइलों और मानव रहित हवाई वाहनों के लिए इंजन के उत्पादन का जायजा लिया।
किम जोंग के इस दौरे को युद्ध की तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है। वह सेना के साथ मिलकर हथियारों का प्रोडक्शन तेज करना चाहता है। इसे लेकर कई सारे देश पहले ही अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, किम जोंग उन ने सुपर लार्ज-कैलिबर मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर और ट्रांसपोर्टर-इरेक्टर-लॉन्चर के लिए गोले बनाने वाली फैक्टरियों का भी जायजा लिया।
मालूम हो कि इनका इस्तेमाल आमतौर पर बैलिस्टिक मिसाइलों को फायर करने के लिए किया जाता है।
बताया जा रहा है कि तानाशाह ने देश की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए कारखानों में उत्पादन क्षमता बढ़ाने के भी निर्देश दिए। किम जोंग के वेपन फैक्ट्री के दौरे की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं जिनमें वह खुद बंदूक फायर करता नजर आ रहा है।
सैन्य ताकत को मजबूत करने में जुटा उत्तर कोरिया
उत्तर कोरिया लंबे समय से अपनी सैन्य ताकत को मजबूत करने में लगा हुआ है। नॉर्थ कोरियाई सेना बड़े कैलिबर के गोले के लिए रॉकेट लॉन्चर्स टेस्ट कर चुकी है।
साथ ही एडवान्स्ड क्रूज मिसाइलों का भी टेस्ट किया गया है। किम जोंग उन का यह दौरा ऐसे समय हुआ है जब अमेरिका ने रूस और उत्तर कोरिया के बीच सैन्य सामग्री की बिक्री को लेकर बड़ा दावा किया है।
अमेरिकी खुफिया अधिकारियों को रूसी रक्षा मंत्री के प्योंगयांग दौरे में उत्तर कोरिया से यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के लिए सैन्य सामग्री की बिक्री बढ़ाने को लेकर बातचीत के बारे में पता चला है।
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी के अनुसार, शोइगु ने 1950-53 के दौरान हुए कोरियाई युद्ध के विराम की 70वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह के दौरान यात्रा में यह प्रस्ताव रखा था।
बाइडेन प्रशासन ने कहा कि उत्तर कोरिया के साथ सहयोग मजबूत करने के लिए शोइगु की ओर से यह कवायद हुआ। इससे इस बात को बल मिलता है कि रूस यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए हथियार की जरूरतों को पूरा करने के वास्ते उत्तर कोरिया और ईरान पर निर्भर हो गया है।
उत्तर कोरिया और ईरान अपने परमाणु कार्यक्रमों और मानवाधिकार संबंधी रिकॉर्ड के चलते अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अलग-थलग हैं।
किर्बी ने कहा, ‘यह पुतिन की हताशा का एक और उदाहरण है क्योंकि उनकी युद्ध सामग्री प्रतिबंधों और निर्यात नियंत्रणों के कारण प्रभावित हो रही है। इसीलिए वह अब उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों से हाथ मिला रहे हैं।’