केंद्र सरकार ने गुरुवार को संसद में डेटा प्रोटेक्शन बिल पेश कर दिया।
खास बात है कि इस बिल में 250 करोड़ रुपये के जुर्माने तक का भी प्रावधान है। खुद केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इस बात की पुष्टि की है।
अब संसद में बिल आते ही विपक्ष ने इसे लेकर जमकर विरोध किया और कहा कि सरकार इसे मनी बिल के दायरे में शामिल कर सकती है।
साथ ही विपक्ष के आरोप हैं कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है। इधर, सरकार ने आरोपों का खंडन किया है और विपक्ष के हर सवाल का जवाब देने की बात कही है।
अगर संसद में संशोधित डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल पास हो जाता है, तो डेटा उल्लंघन के मामले में जिम्मेदार व्यक्ति पर 250 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकेगा।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को बिल संसद में पेश किया। इसपर एनडीटीवी से बातचीत में केंद्रीय मंत्री चंद्रशेखऱ ने कहा, ‘आज डेटा का गलत इस्तेमाल हो रहा है और इसपर पूरी तरह रोक लगेगी।’ उन्होंने कहा, ‘सरकार और निजी कंपनियों की जवाबदेही तय करने के लिए कड़े प्रावधान शामिल किए गए हैं।’
बातचीत के दौरान उन्होंने जानकारी दी, ‘कुछ बहुत ही कड़े उपाय भी किए गए हैं। हर बार डेटा उल्लंघन करने पर 250 करोड़ रुपये की पेनाल्टी लगेगी। जरा सोचिए कि अगर 1 हजार लोगों का डेटा ब्रीच हुआ है, तो कितनी राशि होगी।’
उन्होंने कहा कि इस बिल का मकसद देश के करोड़ों नागरिकों के डेटा को ज्यादा सुरक्षित बनाना और उनकी निजता की रक्षा करना है।
बिल में क्या
बिल में कहा गया है, ‘अगर बोर्ड जांच के बाद यह तय कर लेता है कि किसी व्यक्ति की तरफ से इस कानून या नियमों का बड़े स्तर पर उल्लंघन किया गया है, तो वह उसे अपनी बात रखने का मौका देने के बाद ऐसा जुर्माना लगा सकते हैं।’
कंपनियों पर लगेगी लगाम
बिल के जरिए इंटरनेट कंपनियों, मोबाइल ऐप्स और कारोबारों को लोगों के डेटा जुटाने और स्टोर रखने को लेकर जिम्मेदार बनाए जाने की तैयारी है।
खास बात है कि इसके प्रावधानों के तहत सरकार लोगों के हित में कंटेंट ब्लॉक करने के भी निर्देश दे सकती है। केंद्रीय मंत्री ट्वीट के जरिए जानकारी दी थी कि संसद में पास होने के बाद यह नया बिल नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा।