यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण यूरोपीय बाजारों से रूस को प्रतिबंधित कर दिया गया।
जिसका फायदा उठाकर भारत ने रूस के साथ तेल सौदे में खूब मुनाफा कमाया। रूस अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए नए ग्राहकों की तलाश कर रहा है।
उसकी तलाश पाकिस्तान के तौर पर पूरी हुई मगर नगदी की कमी झेल रहे पाकिस्तान के लिए अपने तेल आयात का दो-तिहाई रूसी कच्चे तेल का लक्ष्य को पूरा करने में परेशानी हो रही है।
विदेशी मुद्रा की कमी और रिफाइनरियों और बंदरगाहों पर सीमाओं के कारण आकर्षक कीमतों के बावजूद, पाकिस्तान को अपने तेल आयात का लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएगा।
पाकिस्तान ने रियायती दरों पर रूस से पर कच्चे तेल को खरीदा, जिसका पहला कार्गो जून में आया था मगर दूसरे कार्गो पर अब बातचीत चल रही है।
पाकिस्तान को यह उम्मीद थी आईएमएफ से लोन मिल जाने के बाद वह अपनी माली हालत को बहुत हद तक सुधार लेगा। पाकिस्तान ने भारत की नकल करते हुए रूस से सस्से कच्चे तेल का सौदा किया मगर यह सौदा पूरा हो जाए, इसमें संकेत नजर नहीं आ रहे हैं।
हालांकि, मरता क्या न करता! पाकिस्तान अपने देश में कच्चे तेल की आपूर्ति के लिए सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से कच्चे तेल से उत्पादित ईंधन की तुलना में बढ़ी हुई शिपिंग लागत और कम गुणवत्ता वाले माल से अपनी भरपाई कर रहा है।
पाकिस्तानी अधिकारियों की मानें रूसी कच्चे तेल से इन ईंधनों के कम उत्पादन की भरपाई के लिए पाकिस्तान को गैसोलीन और गैसोइल आयात बढ़ाना होगा, जिससे अधिक डॉलर का खर्च होगा और इससे पाकिस्तान की संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ेगा।
हालांकि, इस्लामाबाद और मॉस्को ने मूल्य निर्धारण विवरण और छूट की सीमा का खुलासा नहीं किया है। रूसी कच्चे तेल के भुगतान के लिए पाकिस्तान के अंदर चीनी युआन मुद्रा की कमी और बाधा पैदा कर रही है, क्योंकि पाकिस्तान को अपने सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार चीन के साथ व्यापार के लिए युआन की आवश्यकता होती है।