नाइजर में तख्तापलट के बाद वहां के लोगों में पश्चिमी देशों के प्रति गुस्सा खुलकर सामने आ गया है। यही नहीं, लोग अब सड़कों पर रूसी झंडे की बनी शर्ट पहनकर घूम रहे हैं।
अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम के पारंपरिक गढ़ में लोग गर्व से रूसी ध्वज के रंगों में रंगी शर्ट पहनकर प्रदर्शन कर रहे हैं। तख्तापलट के बाद से सेना और पश्चिमी देशों के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है।
दरअसल राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम उग्रवादी इस्लामवादियों के खिलाफ लड़ाई में पश्चिम के कट्टर सहयोगी थे, और एक मजबूत आर्थिक भागीदार भी थे।
लेकिन पश्चिमी अफ्रीकी देश नाइजर में तख्तापलट के बाद सैन्य शासन लागू है। राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को अपदस्थ कर दिया गया और उनके ही सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें बंदी बना लिया।
तख्तापलट करने वाले नेताओं ने 28 जुलाई, 2023 को जनरल अब्दुर्रहमान त्चियानी को नया राष्ट्र प्रमुख घोषित किया जबकि अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहाल करने की मांग की है। तख्तापलट से देश का भविष्य क्या होगा और आगे के कदम को लेकर अस्पष्टता की स्थिति बनी हुई है।
नाइजर में एक फ्रांसीसी सैन्य अड्डा है। इसके अलावा, यह देश यूरेनियम का दुनिया का सातवां सबसे बड़ा उत्पादक है। परमाणु ऊर्जा के लिए यूरेनियम महत्वपूर्ण है।
इसका एक चौथाई हिस्सा यूरोप, विशेषकर फ्रांस को जाता है। लेकिन 26 जुलाई को जब से जनरल अब्दौराहमाने त्चियानी ने तख्तापलट कर राष्ट्रपति को अपदस्थ किया है, तब से रूसी रंग अचानक सड़कों पर दिखाई देने लगा है।
रविवार को राजधानी नियामी में हजारों लोगों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया, कुछ ने रूसी झंडे लहराये और फ्रांसीसी दूतावास पर हमला भी किया। अब ऐसा लगता है कि यह “आंदोलन” पूरे देश में फैल रहा है। यहां तक कहा जा रहा है कि यूक्रेन युद्ध के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों को तगड़ा झटका दिया है।
रूसी झंडे में रंगे कपड़े सिलवाए
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जिंदर शहर में स्थित व्यवसायी ने कहा, “मैं रूस समर्थक हूं और मुझे फ्रांस पसंद नहीं है। बचपन से ही मैं फ्रांस का विरोधी रहा हूं। उन्होंने (पश्चिमी देशों ने) मेरे देश की सारी संपत्ति जैसे यूरेनियम, पेट्रोल और सोना का दोहन किया है।
सबसे गरीब नाइजीरियाई लोग फ्रांस के कारण दिन में तीन बार खाना खाने में असमर्थ हैं।” व्यवसायी ने कहा कि सैन्य तख्तापलट के समर्थन में जिंदर में सोमवार को हुए विरोध प्रदर्शन में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने एक स्थानीय दर्जी से सफेद, नीले और लाल रंग की ड्रेस बनाने के लिए कहा था। हालांकि उन्होंने इस बात से इनकार किया है कि इस विरोध प्रदर्शन के पीछे रूस का हाथ है। नाइजर की आबादी 2.53 करोड़ है। यहां हर पांच में से दो लोग अत्यधिक गरीबी में रहते हैं। उनकी प्रतिदिन की कमाई 2.15 डॉलर से भी कम है।
इस देश को 1960 में स्वतंत्रता मिली थी। लेकिन एक लंबे अरसे के बाद दो साल पहले लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता परिवर्तन हुआ था। सिर्फ दो साल पहले नाइजर ने अपने इतिहास में पहली बार लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार द्वारा सत्ता का हस्तांतरण निर्वाचित राष्ट्रपति को किया था। लेकिन उनकी सरकार इस्लामिक स्टेट समूह और अल-कायदा से जुड़े इस्लामी आतंकवादियों के निशाने पर थी, जो सहारा रेगिस्तान और दक्षिण में अर्ध-शुष्क सहेल के कुछ हिस्सों में घूमते हैं। इस्लामिक कट्टरपंथियों के दबाव में, दोनों पड़ोसी देश माली और बुर्किना फासो में सेनाओं ने सत्ता पर कब्जा कर लिया। उन्होंने कहा कि इससे जिहादियों के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी।
बेहद पुराने हैं रूस के तार
नाइजर की तरह, इन दोनों देशों में पहले बड़ी संख्या में फ्रांसीसी सैनिक रह रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे इस्लामी हमले जारी रहे, पूरे क्षेत्र में फ्रांसीसी विरोधी भावना बढ़ गई। तीनों देशों के लोगों ने फ्रांस पर आतंकी हमलों को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने का आरोप लगाना शुरू कर दिया। सत्ता में आने के बाद, माली में जुंटा (सैन्य सरकार) ने रूस के भाड़े के सैनिकों वैगनर का स्वागत किया। इसके बाद, उन्होंने पहले फ्रांसीसी सैनिकों को बाहर निकाला और फिर हजारों संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों को वहां से जाने के लिए मजबूर किया। हालांकि माली में इस्लामी हमले जारी हैं, बुर्किना फासो की सेना भी रूस के करीब बढ़ी है और सैकड़ों फ्रांसीसी सेनाओं को भगा दिया है।
“रूस करे हमारी मदद”
नाइजर के शहर जिंदर में रूस समर्थक व्यवसायी इस बात को लेकर सकारात्मक हैं कि रूस उनकी मातृभूमि की मदद कर सकता है। उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि रूस सुरक्षा और भोजन में मदद करे। रूस हमारी कृषि को बेहतर बनाने के लिए टेक्नोलॉजी की सप्लाई कर सकता है।” हालांकि, जिंदर में रहने वाले किसान मुताका इस तर्क को खारिज करते हैं और कहते हैं कि तख्तापलट सभी के लिए बुरी खबर है। उन्होंने कहा, “मैं इस देश में रूसियों के आगमन का समर्थन नहीं करता क्योंकि वे सभी यूरोपीय हैं और कोई भी हमारी मदद नहीं करेगा। मैं अपने देश से प्यार करता हूं और आशा करता हूं कि हम शांति से रह सकेंगे।”