भारत का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 एक अगस्त को पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के लिए रवाना हो चुका है।
आसान भाषा में कहें तो यह अब चांद के हाईवे पर है और इस हाईवे को पूरा कर चांद के ऑर्बिट तक पहुंचने में 5 दिन लग सकते हैं।
इसरो का अनुमान है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो यह मिशन 23 अगस्त को चांद की सतह पर लैंड करेगा। यान 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से रवाना किया गया था।
धरती की पांचों कक्षाओं को पार करने में यान का करीब 600 किलोग्राम फ्यूल खर्च हुआ है। क्या यात्रा तक चंद्रयान-3 के पास फ्यूल का स्टॉक है? चलिए जानते हैं।
इसरो की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार, पृथ्वी की पांचों कक्षा को पार करते हुए चंद्रयान-3 चांद की सतह पर जाने के लिए निकल चुका है। चांद तक पहुंचने के लिए चंद्रयान-3 को 3.8 लाख किलोमीटर का सफर तय करना है।
वहीं, चांद के पहले ऑर्बिट तक पहुंचने के लिए यान को 11 हजार किलोमीटर का सफर तय करना होगा। पांच अगस्त की शाम करीब 7 बजे पहले आर्बिट पर ग्रैविटी कैच करने के बाद यान के फ्यूल में कटौती की सकती है।
कितना बचा है फ्यूल?
लॉन्चिंग के समय यान के प्रोपल्शन मॉड्यूल में 1696 किलोग्राम फ्यूल डाला गया था। एक अगस्त तक चंद्रयान-3 पृथ्वी की पांचों कक्षाओं को पार करके 500 से 600 किलोग्राम फ्लूल खर्च कर चुका है।
वहीं, 1 अगस्त की मध्य रात्रि 12:00 से 12:23 बजे के बीच इसे ट्रांस लूनर ट्रैजेक्टरी पर डाला गया। इस अवधि में यान के इंजनों को 20 मिनट से ज्यादा समय तक ऑन रखा गया।
इसी काम में 179 किलोग्राम फ्यूल खर्च हुआ। अभी भी 1100 किलोग्राम से ज्यादा फ्यूल बचा है।
चांद के ऑर्बिट तक पहुंचने में कितना वक्त
चंद्रयान-3 मिशन चांद के लिए 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। इसरो का अनुमान है कि यान के पांच अगस्त को चांद के ऑर्बिट पर पहुंचने की संभावना है।
वहीं, अगर सबकुछ ठीक रहा तो यह 23 अगस्त को वापस चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिग भी कर लेगा। चंद्रयान-3 का मिशन चांद की सतह पर सुरक्षित और सुगम लैंडिंग करना है। इसके बाद रोवर को चंद्रमा पर घूमते हुए प्रदर्शित करना और इसकी तस्वीरें भेजना है।
जिससे वैज्ञानिकों को चांद को समझने में और मदद मिले। चंद्रयान-3 जिस मिशन पर निकला है, अगर भारत इस मिशन में सफल हुआ तो ऐसा करने वालों चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा।
मिशन चांद में अभी कितनी मुश्किल?
मिशन चांद की तरफ करीब 39000 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़ रहा चंद्रयान-3 अभी चांद के हाईवे पर है। पहले ऑर्बिट तक पहुंचने से पहले वैज्ञानिकों को इसकी स्पीड पर ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि चांद पर पृथ्वी से 6 गुना कम ग्रैविटी है। इसलिए चांद के ऑर्बिट तक पहुंचने के बाद ग्रैविटी को कैच करने के लिए यान की गति धीमी होनी जरूरी है। वैज्ञानिक इस बात का विशेष तौर पर ख्याल रख रहे हैं।
अगर ग्रैविटी कैच नहीं हुई तो वापस आएगा चंद्रयान-3
अगर मान लीजिए किसी कारण वश यान चांद के ऑर्बिट में ग्रैविटी को कैच करने में कामयाब नहीं होता है तो यान पृथ्वी की तरफ वापसी करेगा। इसमें इसे 10 दिन का वक्त लगेगा। अभी इसरो के वैज्ञानिक इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि चंद्रयान-3 सफलता पू्र्वक चांद के ऑर्बिट में प्रवेश कर जाए और ग्रैविटी को कैच कर ले।