केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अफ्रीका से भारत लाए गए 5 वयस्क चीतों और 3 शावकों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है।
सरकार की ओर से कहा गया कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान स्थल के अनसूटेबल होने की बात गलत है।
साथ ही कुनो में 15 जीवित चीतों और एक शावक के लिए वैकल्पिक आवास की संभावना को खारिज कर दिया गया। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है।
इससे पहले दायर जवाब में केंद्र ने कहा कि एक्शन प्लान के अनुसार और चीतों को लाने के लिए वैकल्पिक स्थल तैयार किए जा रहे हैं।
सरकार ने अपनी दलील में जंगल में चीतों के जीवित रहने को लेकर सामान्य वैज्ञानिक जागरूकता का हवाला दिया। इस आधार पर केंद्र ने कहा कि इन मांसाहारियों की गैर-परिचित आबादी में भी वयस्कों में जीवित रहने की दर 50% से कम है।
नए निवास स्थान में लाए जाने की स्थिति में यह दर और भी कम हो जाती है, जिससे शावकों के लगभग 10% जीवित रहने की संभावना रहती है।
हलफनामे में कहा गया कि मृत्यु दर परेशान करने वाली जरूर है। इसका हल निकाले जाने की जरूरत है, मगर यह अनावश्यक रूप से चिंताजनक नहीं है।
अप्राकृतिक कारणों से नहीं हुई चीतों की मौत
चीते के शवों का विश्लेषण करते हुए हलफनामें में कहा गया कि मौत की घटनाएं प्राकृतिक कारणों की ओर इशारा करती हैं। किसी भी चीते की मौत अप्राकृतिक कारणों जैसे अवैध शिकार, जहर, सड़क पर हमला, बिजली का झटका आदि से नहीं हुई।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के सहायक वन महानिरीक्षक हेमंत सिंह की ओर से यह हलफनामा दायर किया गया।
इसमें कहा गया, ‘एनटीसीए के पास आज यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि कूनो साइट के अनसूटेबल होने के चलते मौतें हुई हैं।
3 शावकों समेत 8 चीतों की मौत
मध्य प्रदेश के चंबल संभाग के श्योपुर जिला में कूनो नेशनल पार्क स्थिति है। इसी महीने सूरज नामक चीता की मृत्यु हो गई थी। जबकि पिछले पांच महीने में तीन शावकों समेत 8 चीतों की मौत हो चुकी है।
वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, चीता सूरज पार्क में इनक्लोजर के बाहर लेटा था जब पास में कूनो प्रबंधन के अधिकारियों ने जाकर देखा तो वह मृत मिला। एक हफ्ते के अंदर ही यह दूसरे चीते की मौत है।
इसके दो दिन पहले ही तेजस नामक चीते की मौत हुई थी। उसकी मौत मादा चीते के साथ आपसी झड़प में घायल होने से हुई थी। तेजस लड़ाई के बाद घायल हो गया था, बाद में उसने दम तोड़ दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी मौत का कारण आपसी लड़ाई बताया गया था।
16 चीते ही कूनो नेशनल पार्क में बचे
कूनो पार्क प्रबंधन के अनुसार, 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर नामीबिया से 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाया गया था।
इसके बाद 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो लाए गए थे। इस तरह कूनो में कुल 20 चीते हो गए थे। जबकि एक मादा चीता ने चार शावकों को जन्म दिया था।
इस तरह कुल 20 चीतों में से 5 की मौत जाने पर अब 16 चीते ही कूनो नेशनल पार्क में बचे हैं। जबकि चार शावकों में से भी तीन शावकों की मौत हो चुकी है।
जिनमें अब केवल एक ही शावक जिंदा बचा है। इस तरह से कूनो में 15 चीते और एक शावक बचा हुआ है।