राज्य के सरकारी संस्थानों में चार वर्षीय बीएड की शुरुआत शिक्षा विभाग की समिति की अनुशंसा पर होगी।
इसकी कवायद तेज हो गई है, नई व्यवस्था में चार वर्षों में बीए, बीकॉम अथवा बीएससी के साथ ही बीएड की डिग्री भी मिल जाएगी।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के निर्णय के तहत नई व्यवस्था लागू करने के लिए शिक्षा विभाग ने समिति बनाई है। इसकी अनुशंसा पर बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष प्रो. कामेश्वर झा अंतिम मंतव्य देंगे।
इसके बाद चरणवार सरकारी संस्थानों में चार वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम लागू होगा। एनसीटीई ने साफ कर दिया है कि वर्ष 2030 के बाद से दो साल के बीएड कोर्स की मान्यता नहीं मिलेगी।
एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम के तहत इंटरमीडिएट के बाद ही बीएड में दाखिला होगा। संबंधित विषय के स्नातक के साथ ही बीएड भी कर सकेंगे।
वर्तमान में तीन साल के स्नातक के बाद दो साल का बीएड करने का प्रावधान है।
इंटमीडिएट के बाद नई व्यवस्था में बीएड करने पर चार साल लगेंगे, जिसमें अभी पांच साल लगते हैं। इन नई व्यवस्था में अगर कोई विद्यार्थी केवल एक साल का पाठ्क्रम करेंगे तो वह नर्सरी तथा के शिक्षक बन सकेंगे।
दो वर्ष में डीएलएड की डिग्री?
वहीं, दो वर्ष की पढ़ाई पूरी करने वालों को डी.एलएड की डिग्री मिलेगी। शिक्षा विभाग के अधीन अधीन 66 सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान हैं।
इनमें छह बीएड कॉलेज, 27 प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय और 33 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान हैं।
क्या होंगी चुनौतियां?
चार वर्षीय एकीकृत पाठ्क्रम लागू करने में विभाग के पास कई चुनौतियां हैं।
वर्तमान में सरकारी संस्थानों में जो शिक्षक हैं, वह बिहार शिक्षा सेवा के हैं।बीए, बीकॉम और बीएससी के साथ बी.एड के लिए असिसटेंट प्रोफेसर चाहिए।
नये पाठ्यक्रम के शिक्षकों की योग्यता अलग होगी।इन चुनौतियों से निपटने के लिए समिति कार्ययोजना भी बनाकर विभाग को देगी।
समिति में कौन-कौन?
शिक्षा सचिव बैद्यनाथ यादव इसके अध्यक्ष बनाए गए हैं। वहीं, शोध एवं प्रशिक्षण के निदेशक सज्जन आर, बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के प्रो. नवीन कुमार अग्रवाल, शिक्षा एवं परीक्षा सुधार विशेषज्ञ-बिहार विकास मिशन डॉ. फ्रांसिस सी पीटर, उच्च शिक्षा निदेशालय के सूचीबद्ध अधिवक्ता राजकमल और बिहार राज्य उच्च शिक्षा परिषद की उपसचिव डॉ. अर्चना समिति के सदस्यगण हैं।