राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की सदस्य और भाजपा नेता खुशबू सुंदर ने गुरुवार को एक निजी पैरामेडिकल कॉलेज के टॉयलेट में “छिपे हुए कैमरे” के दावों को खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है। खुशबू सुंदर ने मामले की जांच के लिए उडुपी में नेत्र ज्योति इंस्टीट्यूट ऑफ अलाइड हेल्थ साइंसेज का दौरा किया और मैनेजमेंट के साथ बातचीत की।
शौचालयों में छिपे हुए कैमरे की खबर अफवाह
कई भाजपा नेताओं के विपरीत, खुशबू सुंदर ने कहा, “ऐसी अफवाहें हैं कि शौचालयों में छिपे हुए कैमरे थे। इसमें कोई सच्चाई नहीं है। झूठे वीडियो चल रहे हैं।
यह एक इंस्टीट्यूट है इसलिए इसमें कोई छिपा हुआ कैमरा नहीं हो सकता। हम पुलिस से बात कर रहे हैं। पुलिस विभाग की ओर से जांच और हमारी ओर से जांच जारी रहेगी और हम जल्द ही किसी नतीजे पर पहुंचेंगे।”
घटना के सांप्रदायिक रूप लेने के बाद खुशबू सुंदर का ये बयान आया है। इससे पहले दक्षिणपंथी समूहों ने दावा किया कि निलंबित मुस्लिम छात्राओं ने हिंदू लड़कियों के निजी वीडियो शूट करने के लिए छिपे हुए कैमरों का इस्तेमाल किया, ताकि उन्हें “जिहादी साजिश” के हिस्से के रूप में मुस्लिम पुरुषों के बीच प्रसारित किया जा सके।
इस पूरे मामले पर खुशबू सुंदर ने कहा कि महिला आयोग का ध्यान महिलाओं की सुरक्षा पर है, चाहे वह किसी भी धर्म की हों और लोगों से इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने से बचने का आग्रह किया।
लोग गलत सूचना और अफवाहें साझा कर रहे
उन्होंने कहा, “एनसीडब्ल्यू और पुलिस पूरी लगन से अपना काम कर रहे हैं और जज बने बिना इसकी जांच करेंगे। एनसीडब्ल्यू महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी सांप्रदायिक एंगल को ध्यान में रखकर काम नहीं करता है।”
उडुपी पुलिस ने भी घटना में किसी भी सांप्रदायिक एंगल से इनकार किया है। उडुपी के पुलिस अधीक्षक अक्षय मच्छिन्द्र ने मंगलवार को स्पष्ट करते हुए कहा, “इस घटना के संबंध में सोशल मीडिया पर बहुत सारे लोग गलत सूचना और अफवाहें साझा कर रहे हैं।
शायद वे किसी मकसद से ऐसा कर रहे हैं। मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि हालांकि ऐसी खबरें थीं कि वहां छिपे हुए कैमरे थे, लेकिन हमारी जानकारी के अनुसार, इस मामले में ऐसी किसी चीज का इस्तेमाल नहीं किया गया था।”
मालपे पुलिस ने बुधवार को घटना के बारे में गलत सूचना फैलाने के आरोप में कालू सिंह चौहान नामक व्यक्ति के खिलाफ भी मामला दर्ज किया।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, चौहान ने कथित तौर पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए ट्विटर पर एक एडिटेड वीडियो अपलोड किया था। उडुपी पुलिस द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद चौहान ने पोस्ट हटा दी।
एसपी ने सोमवार को कहा कि अपलोड किया गया वीडियो वास्तव में 13/7/23 को चेन्नई स्थित यूट्यूब चैनल *तमिल जेलर* से है।
इस वीडियो को कन्नड़ में बैकग्राउंड आवाज के साथ एडिट किया गया है ताकि यह दर्शाया जा सके कि यह उडुपी की एक घटना से संबंधित है। इस वीडियो का उडुपी की घटना से कोई संबंध नहीं है।
शौचालय में साथी छात्रा का वीडियो बनाने के मामले में तीन लड़कियों पर मुकदमा
इससे पहले कर्नाटक के उडुपी शहर में कॉलेज के शौचालय में कथित तौर पर साथी छात्रा का वीडियो बनाने की घटना के कई दिन बाद तीन छात्राओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
राज्य में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरोपी छात्राओं को गिरफ्तार करने की मांग की है जबकि राज्य के गृहमंत्री जी.परमेश्वर ने आरोप लगाया कि विपक्षी पार्टी ‘छोटी सी घटना’ पर “ओछी राजनीति” कर रही है। पैरामेडिकल कॉलेज की तीन छात्राओं के खिलाफ उडुपी के मालपे पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई।
कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने वीडियो बनाने के मामले में एक छोटी सी घटना बताया। उनके मुताबिक इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। सूत्रों ने बताया कि प्राथमिकी में कॉलेज प्रशासन को भी नामजद किया गया है और भारतीय दंड संहिता की धारा 509 (किसी महिला की गरिमा का अपमान करने के इरादे से शब्द, इशारा या कृत्य), 204 (किसी दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को नष्ट करना), 175 (दस्तावेज प्रस्तुत करने से बचना), धारा-34 (समान मंशा से कई व्यक्तियों द्वारा आपराधिक कृत्य करना) के साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 (ई) (जानबूझकर सहमति के बिना किसी की निजी तस्वीर खींचना, प्रकाशित या प्रसारित करना) सहित सुसंगत धाराए लगाई हैं।
तीन छात्राओं तथा कॉलेज प्रशासन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज
पुलिस ने बयान जारी कर बताया कि उसने कॉलेज के शौचालय में वीडियो बनाने के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की है।
उसने बताया कि छात्रा का निजी वीडियो बनाने और बाद में उसे डिलीट करने के मामले में तीन छात्राओं तथा कॉलेज प्रशासन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
पुलिस ने उनपर घटना से जुड़ी जानकारी और सबूत मुहैया कराने में असफल रहने का मामला दर्ज किया है जिसकी वजह से पीड़िता की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है।
इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। राज्य की मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने वीडियो बनाने की आरोपी तीन मुस्लिम छात्राओं की गिरफ्तारी की मांग को लेकर बृहस्पतिवार को राज्यव्यापी प्रदर्शन की घोषणा की है। उसने रेखांकित किया है कि आरोपी और पीड़ित दो अलग-अलग धार्मिक समुदायों की हैं।
वीडियो बनाना एक गंभीर मुद्दा
एनसीडब्ल्यू की पूर्व सदस्य श्यामला सुंदर ने बुधवार को उडुपी में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि शौचालय में एक छात्रा का तीन अन्य लड़कियों द्वारा वीडियो बनाना एक गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा कि वीडियो कथित तौर पर सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया था जिसके बाद कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं के मोबाइल फोन जब्त कर लिए।
इस मुद्दे को ट्विटर के जरिये उठाने वाली दक्षिणपंथी कार्यकर्ता रश्मि सामंत से पुलिस ने कथित तौर पर ट्वीट की प्रामाणिकता का पता लगाने के लिए पूछताछ की थी।
इसका जिक्र करते हुए खुशबू सुंदर ने कहा कि अगर उनके अकाउंट से कोई फर्जी ट्वीट किया गया होता तो वह खुद इसकी शिकायत दर्ज करातीं। उन्होंने कहा कि पुलिस को इसमें शामिल लड़कियों के व्यवहार की उचित जांच करनी चाहिए।
पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई का कांग्रेस सरकार पर निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बसवराज बोम्मई ने गृह मंत्री को ‘इस मामले को हल्के में लेने’ पर आड़े हाथ लिया। बोम्मई ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर वह छोटा मामला था तो प्राथमिकी क्यों दर्ज की गई और आरोपी लड़कियों के ‘इकबालिया पत्र’ का क्या हुआ? उन लड़कियों को क्यों निलंबित किया गया? उन्हें (परमेश्वर को) इन सवालों का जवाब देना चाहिए।’’
भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि कॉलेज प्रशासन ने मामले को दबाने की कोशिश की, अगर छात्रा ने ट्वीट कर नहीं बताया होता तो किसी को इसकी जानकारी नहीं होती।
बोम्मई ने कहा, ‘‘आप (सरकार) कितने मामलों पर पर्दा डालेंगे? इन वीडियो से कितनी लड़कियों की इज्जत दांव पर लगी होगी? ऐसी ताकतों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
पुलिस को किसी भी दबाव में आए बिना स्वतंत्र रूप से कार्य करना चाहिए। इस मामले में जो भी अधिकारी दोषी हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि शौचालय में लड़कियों का वीडियो बनाना ‘जघन्य और निंदनीय कृत्य’है।