भारत की तरफ से गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर बैन लगाने से दुनिया भर में हलचल है।
मौजूदा खरीफ की फसल की रोपाई कमजोर दिखने और आगे फेस्विट सीजन में कीमतें न बढ़ने देने की रणनीति के तहत सरकार ने यह फैसला लिया है।
लेकिन इसका असर अमेरिका समेत कई देशों में दिख रहा है। अमेरिका में तो राशन की दुकानों पर लंबी लाइनें देखी गईं और लोग पैनिक में चावल खरीदते नजर आए।
इस बीच आईएमएफ का कहना है कि वह भारत को प्रोत्साहित करेगा कि वह बैन पर दोबारा विचार करे। भारत की ओर से निर्यात किए जान वाले चावल की दुनिया के बाजार में 20 फीसदी की हिस्सेदारी है।
ऐसे में भारत के बैन से हलचल मच गई है। अब कई देशों की सरकारें सीधे भारत की सरकार से ही चावल की खरीद के लिए एग्रीमेंट कर सकती हैं।
यूनाइटेड नेशंस फूड ऐंड ऐग्रिक्लचर ऑर्गनाइजेशन से जुड़े राइस मार्केट के विश्लेषक शिरले मुस्तफा ने कहा कि इसे अंतरराष्ट्रीय कारोबार में भरोसा कमजोर हुआ है।
उन्होंने कहा कि अचानक लगे इस बैन से अंतरराष्ट्रीय कारोबार में भरोसा कमजोर हुआ है। मुस्तफा ने कहा कि इस संकट के चलते चावल आयात करने वाले देश सीधे भारत सरकार से डील कर सकते हैं ताकि चावल के आयात में कोई कमी ना आए।
दरअसल चिंता इस बात की भी है कि भारत के बैन के बाद दुनिया में खाद्यान्न की महंगाई बढ़ सकती है। रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के चलते गेहूं की कीमतें पहले ही आसमान पर हैं।
इस बीच भारत सरकार ने संकेत दिए हैं कि यदि किसी देश को कोई दिक्कत आती है तो वह निर्यात करेगी। बीते साल सितंबर में भारत सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया था।
इसके बाद भी उसने इंडोनेशिया, सेनेगल, गाम्बिया, माली और इथियोपिया जैसे देशों को करीब एक मिलियन मीट्रिक टन चावल सप्लाई किया।
अफ्रीकी देश सरकार से लगा रहे गुहार, इंडोनेशिया का वायदा कारोबार
खबर है कि अफ्रीकी देशों की ओर से भारत सरकार के चावल बेचने के लिए अपील की जा सकती है। इसके अलावा इंडोनेशिया, फिलीपींस जैसे एशियाई देश भी करार कर सकते हैं।
इंडोनेशिया ने तो पहले भारत सरकार से करार कर लिया है कि यदि अल-नीनो के असर से फसल कमजोर होती है तो एक मिलियन टन का निर्यात उसे किया जाए।
1 जुलाई तक के आंकड़े के मुताबिक भारत के पास 41 मिलियन टन गैर-बासमती चावल का भंडार है। इस कोटे से सरकार गरीबों को मिलने वाले राशन और मुक्त बाजार में बिक्री के लिए भी चावल मुहैया करा सकती है।