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ऐसे ऑफर्स का लालच देकर कैसे लोगों को चूना लगाया जा रहा है, इसको लेकर हैदराबाद पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। धोखाधड़ी के इस खेल में चाइनीज हैंडलर्स की भूमिका भी सामने आई है।
खुलासे के मुताबिक इसके जरिए 15 हजार भारतीयों को एक साल से भी कम समय में सात सौ करोड़ रुपए का चूना लगाया जा चुका है।
पुलिस का कहना है इस खेल में पैसा दुबई के रास्ते चीन तक भेजा गया है। इसके अलावा लेबनान के आतंकी गुट हिजबुल्ला के खाते में भी कुछ रकम भेजी गई है।
आतंकी गुट के खाते में पैसे
हैदराबाद पुलिस कमिश्नर सीवी आनंद के मुताबिक मामले में केंद्रीय एजेंसियों और गृह मंत्रालय की साइबर क्राइम यूनिट को भी अलर्ट कर दिया गया है।
सीवी आनंद ने बताया कि हैरानी की बात यह है कि ऊंची सैलरी पाने वाले सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स ने भी 82 लाख रुपए तक गंवा दिए।
उन्होंने कहा कि पुलिस को शक है इस पैसे का कुछ हिस्सा क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया गया और उसे हिजबुल्ला द्वारा चलाए जा रहे वॉलेट में जमा कर दिया गया।
मामले में अभी तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें से चार हैदराबाद, तीन मुंबई और दो अहमदाबाद से हैं। पुलिस को अभी भी छह और लोगों की तलाश है।
ऐसे बुना गया था जाल
इसी साल अप्रैल में एक शख्स हैदराबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच पहुंचा और अपने साथ 28 लाख की धोखाधड़ी की बात बताई। इसके बाद जांच शुरू की गई और मामले से जुड़े कई पहलू सामने आने लगे।
पता चला कि लोगों को इन्वेस्टमेंट-कम-पार्ट टाइम जॉब के नाम पर लालच दिया गया था। लोगों को यू-ट्यूब वीडियो लाइक करने, गूगल रिव्यू लिखने जैसे आसान टास्क दिए गए थे।
इन टास्क को पूरा करने के बाद उन्हें पैसे दिए जाते थे। जिन पीड़ितों ने औसतन 5 से 6 लाख रुपए गंवाए, उनसे टेलीग्राम और वॉट्सऐप पर संपर्क किया गया था। इन लोगों ने पांच हजार तक की छोटी रकम का निवेश किया था और उन्हें हाई रिटर्न दिया गया था।
कई बार तो पहला टास्क पूरा करने के बाद दुगुने पैसे तक दिए गए। इसके अलावा निवेशकों से इसमें बड़ी अमाउंट लगाने के लिए कहा जाता था।
शक न हो, इसलिए ऐसा प्लान
लोगों को अपने पैसे डूबने का शक न होने पाए, इसको लेकर भी फुलप्रूफ तैयारी की गई थी। एक फेक विंडो तैयार की गई थी, जिसमें निवेशकों को उनकी रकम दिखाई देती थी।
इससे उनको लगता था कि उनके पैसे पूरी तरह सुरक्षित हैं। हालांकि टास्क पूरा करने का हवाला देकर उन्हें पैसे निकालने से मना कर दिया जाता था।
अप्रैल में जब मामला सामने आया तो जांचकर्ताओं ने पाया कि शेल कंपनियों के नाम पर 48 बैंक अकाउंट्स खोले गए हैं। उस वक्त अनुमान था कि धोखाधड़ी की रकम 584 करोड़ रुपए तक हो सकती है। जब जांच का दायरा बढ़ा तो 128 करोड़ की रकम और बढ़ गई। जालसाजों ने कुल 113 भारतीय बैंक अकाउंट्स का इस्तेमाल किया था।
इन्हें विभिन्न अकाउंट्स में भेजने के बाद क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया गया था। इसके बाद इसे दुबई के रास्ते चीन भेज दिया गया था।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इन अकाउंट्स को भारतीय सिम का इस्तेमाल करते हुए भारत में खोला गया था। इसके बाद इन्हें दुबई से ऑपरेट किया जा रहा था। वहीं, जालसाज स्कैम के मास्टरमाइंड चीनी ऑपरेटर्स के साथ भी जुड़े हुए थे।
दुबई में ऐप से अकाउंट्स की एक्सेस
ट्रांजैक्शंस की डिटेल से पता चला है कि कुछ अकाउंट्स को दुबई बेस्ड ग्रुप द्वारा रिमोट-एक्सेस ऐप से यूज किया जा रहा था। दुबई में बैठा यह ग्रुप चाइनीज मास्टरमाइंड्स के संपर्क में था और क्रिप्टो वॉलेट में पैसे ट्रांसफर कर रहा था।
इनमें से कुछ वॉलेट्स अहमदाबाद के प्रकाश मूलचंदानी प्रजापति और कुमार प्रजापति द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे थे, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रकाश चाइनीज हैंडलर्स से बातचीत करता था और उन्हें बैंक डिटेल समेत दूसरी जानकारियां भेजता था।
अधिकारी ने बताया कि तीन लोगों को मुंबई से गिरफ्तार किया गया है और इन लोगों के पास दुबई में बैठे छह लोगों के बारे में जानकारी है, जो जालसाजी में शामिल हैं।