केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पूर्व राष्ट्रपति और जामिया के कुलपति डॉ. जाकिर हुसैन का जिक्र करते हुए रविवार को कहा कि शिक्षा ही पुराने मूल्यों को संरक्षित कर सकती है और यह बताती है कि कौन से मूल्यों को बनाए रखना है और किन मूल्यों को त्यागना है।
प्रधान ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के शताब्दी वर्ष दीक्षांत समारोह में जाकिर हुसैन के बयान का हवाला देते हुए कहा, “शिक्षा हमारे लोकतांत्रिक जीवन की सांस है।
शिक्षा को जीवन की मुख्य सूचनात्मक शक्ति के रूप में देखें। यह शिक्षा ही है जो हमें भविष्य का एक सामान्य दृष्टिकोण दे सकती है और हमारे अंदर बौद्धिक व नैतिक ऊर्जा पैदा कर सकती है।
शिक्षा ही पुराने मूल्यों को संरक्षित कर सकती है।” उन्होंने कहा, “जाकिर हुसैन हमेशा कहते थे कि शिक्षा हमें यह दृष्टि देती है कि कौन से पुराने मूल्यों को बनाए रखना उचित है और किन मूल्यों को छोड़ देना चाहिए। शिक्षा ही भविष्य के लिए प्रयास करने वालों को नये मूल्य दे सकती है।”
कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए प्रधान ने कहा कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन में विश्वविद्यालय की बहुत बड़ी भूमिका थी और यह अगले 25 वर्षों में बौद्धिक नेतृत्व प्रदान करने में पहले स्थान पर रहेगा। उन्होंने कहा, “जामिया की स्थापना हमारी आजादी के आंदोलन को आगे ले जाने के लिए की गई थी।
हमारी आजादी के 75 साल पूरे हो चुके हैं और जामिया के नेतृत्व का इसमें बहुत बड़ा योगदान है। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश के ‘अमृत काल’ के अगले 25 वर्षों में जामिया बौद्धिक नेतृत्व प्रदान करने में पहले स्थान पर रहेगा।”
जेएमआई ने शैक्षणिक वर्ष 2019 और 2020 में उत्तीर्ण विद्यार्थियों के लिए रविवार को शताब्दी वर्ष दीक्षांत समारोह का आयोजन किया।
दीक्षांत समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी मौजूद थे। समारोह के दौरान 2019 और 2020 में उत्तीर्ण लगभग 12,500 विद्यार्थियों को डिग्री और डिप्लोमा प्रदान किया गया।