राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल सोमवार को जोहान्सबर्ग में होने वाले ब्रिक्स देशों के एनएसए मीटिंग के मौके पर वरिष्ठ चीनी राजनयिक यांग जिएची और रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव सहित अन्य लोगों से मुलाकात करेंगे।
22 से 24 अगस्त के बीच ब्रिक्स देशों के होने वाले शिखर सम्मेलन से पहले एनएसए स्तर की ये बैठक काफी अहम है क्योंकि इसका एजेंडा यूक्रेन युद्ध, इंडो-पैसिफिक, धार्मिक कट्टरपंथ और आतंकवाद जैसे वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करना है।
एनएसए लेवल की बैठक में संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार तहनून बिन जायद अल नाहयान और सऊदी अरब के एनएसए मुसाद बिन मोहम्मद अल ऐबान जैसे विशेष आमंत्रित सदस्य भी भाग लेंगे।
सूत्रों के मुताबिक, एनएसए डोभाल ब्रिक्स रूब्रिक के तहत अपने समकक्षों से मिलेंगे, लेकिन द्विपक्षीय रूप से उनके और यांग जिएची के बीच भी बातचीत होगी।
यांग जिएची चीन में विदेश मामलों का आयोग के पूर्व निदेशक हैं। दोनों नेताओं की यह मुलाकात मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों की आक्रामकता के मद्देनजर अहम मानी जा रही है।
बता दें कि अभी भी पूर्वी लद्दाख में स्थिति अनिश्चितताओं से भरी है। हालांकि, वहां हालात अभी नियंत्रण में है और भारत और चीन सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से लगातार एक-दूसरे के संपर्क में हैं।
दूसरी तरफ, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) अभी भी पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से पीछे नहीं हटी है, हालांकि गलवान, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स और पैंगोंग त्सो झील क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी हो गई है।
इधर, पीएलए ने दौलत बेग ओल्डी सेक्टर के इलाकों में तैनाती बढ़ा दी है और अभी भी भारतीय सेना को देपसांग बुलगे क्षेत्र के साथ-साथ डेमचोक में चार्डिंग निंगलुंग नाला (सीएनएन) जंक्शन पर वैध रूप से गश्त करने की अनुमति नहीं दे रही है।
उम्मीद है कि एनएसए डोभाल चीनी राजनयिक के समक्ष एलएसी के पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्र में तनाव कम करने का मुद्दा उठा सकते हैं।
हालांकि, द्विपक्षीय बातचीत से बहुत कम नतीजे निकलने की उम्मीद है क्योंकि पीएलए को अभी भी उन छह संयुक्त सशस्त्र ब्रिगेड वापस भेजने हैं जिनकी तैनाती 2022 में नेशनल पार्टी कांग्रेस के दौरान की गई थी।
इन छह ब्रिगेडों को अति-संवेदनशील सिलीगुड़ी कॉरिडोर और अरुणाचल प्रदेश सेक्टर, विशेषकर तवांग में तैनात किया गया है। पूर्वी क्षेत्र में पीएलए के नए खतरे के कारण ही भारतीय सेना ने चुनौती का मुकाबला करने के लिए इस क्षेत्र में काफी सैन्य ताकत झोंक रखी है।
एनएसए डोभाल अपने करीबी दोस्त रूस, यूएई और सऊदी अरब के एनएसए से मुलाकात करेंगे और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर यूक्रेन युद्ध के प्रभाव के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।
इसके अलावा वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दाहिने हाथ पेत्रुशेव को पूर्वी लद्दाख के साथ-साथ इंडो-पैसिफिक की स्थिति के बारे में भी चर्चा करेंगे।
ब्रिक्स एनएसए बैठक में अफगानिस्तान में राजनीतिक रूप से अस्थिर स्थिति और अफगान-पाक क्षेत्र से उत्पन्न आतंकवाद और उसके प्रभाव पर भी प्रमुखता से चर्चा किए जाने की संभावना है।