कश्मीर का नाम आते ही पाकिस्तान की आंखें चमक उठती हैं।
कश्मीर को अपने में मिलाने के लिए पाकिस्तान ने कई नाकाम कोशिश की। कई बार पाकिस्तान ने मुंह की खाई है। फिर भी पाकिस्तान अपनी आदत से बाज नहीं आ रहा है।
अब पाकिस्तान कश्मीर की हुकूमत को हथियाने के लिए अलगाववादी नेता यासीन मलिक की बेटी रजिया सुल्तान का इस्तेमाल किया है।
पाकिस्तान ने एक बार फिर अपने लाभ के लिए नाबालिगों का उपयोग करके, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम करने के लिए नए प्रचार का सहारा लिया है।
पाकिस्तान की योजना में शामिल यासीन मलिक की 11 साल की बेटी रजिया सुल्तान है, जिसे पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) की संसद में भारत के खिलाफ निराधार आरोप लगाने के लिए एक खुला मंच दिया गया था।
रजिया सुल्तान उसी यासीन मलिक की बेटी है जिसके ऊपर दर्जन से अधिक लोगों की हत्या करवाने और कश्मीर घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने का केस दर्ज है।
अपने बयान में रजिया ने अपने पिता को निर्दोष बताया और पाकिस्तान के ‘आजादी’ के एजेंडे का समर्थन किया। एक लिखे हुए स्क्रिप्ट पढ़ते हुए रजिया ने यह भी कहा कि 05 अगस्त 2019 को की गई कार्रवाई यानी अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करना स्वीकार्य नहीं है।
यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान ने भारत को बदनाम करने के लिए नाबालिगों का इस्तेमाल किया है। पहले पीओजेके से बच्चों को आतंकी ट्रेनिंग देने के लिए अपहरण कर लिया जाता था।
कई बार आतंकी घुसपैठ के लिए नाबालिगों को भारतीय क्षेत्र में भेजा गया। जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को पिछले साल 25 मई को दिल्ली की एक अदालत ने 2017 में कश्मीर घाटी में आतंकवादी और अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
एनआईए ने बाद में यासीन को मौत की सजा के लिए ऊपरी अदालत का रुख किया।
यासीन मलिक पर पहली बार अक्टूबर 1999 में कानून और व्यवस्था को खतरे में डालने के लिए मामला दर्ज किया गया था। मार्च 2002 में मलिक को आतंकवाद निरोधक अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया और एक साल के लिए हिरासत में लिया गया।
मलिक ने मई 2007 में पूरे कश्मीर में सफर-ए-आजादी की शुरुआत की और पूरे कश्मीर घाटी में पाकिस्तान के आजादी के एजेंडे को बढ़ावा दिया।
2013 में वह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) प्रमुख हाफिज सईद से मिलने पाकिस्तान गया था।
यासीन मलिक ने भारत में पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा चलाने में अहम भूमिका निभाई थी। उसे आतंक के वित्तपोषण के लिए पाकिस्तान से धन मिलता था।
2016 में, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आतंकी फंडिंग का मामला दर्ज किया और 2019 में दायर एक आरोप पत्र में उसे और चार अन्य को नामित किया।
यासीन मलिक 1990 में चार भारतीय वायु सेना अधिकारियों की हत्या और तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सैयद के अपहरण के पीछे भी है।
दोनों मामलों की सुनवाई जम्मू की विशेष सीबीआई अदालत में चल रही है।