हरियाणा सरकार की कुंवारों और विधुरों के लिए शुरू की गई 2750 रुपये की मासिक पेंशन में अब एक नई शर्त भी जुड़ गई है।
अगर उन्होंने विवाह किया और फिर भी पूर्ववत पेंशन लेते रहे तो उस राशि की 12 प्रतिशत के साथ वसूली की जाएगी।
राज्य सरकार ने इस सम्बंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है, जिसमें यह स्पष्ट है कि पेंशन लेने के बाद अगर कोई विधुर या कुंवारा शादी करता है, तो इसकी उसे विभाग को जानकारी देनी होगी।
अगर यह जानकारी नहीं दी जाती है और पेंशन पूर्ववत लेता रहता है, तो ऐसे में सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। विवाह के बाद ली गई, किसी भी राशि की 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वसूली की जाएगी।
अधिसूचना में यह भी साफ किया गया है कि तलाकशुदा और सहमति सम्बंध (लिव-इन रिलेशनशिप) में रह रहे लोगों को इस पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा।
अगर ऐसा कोई भी व्यक्ति इस तरह की पेंशन ले रहा है वह अपात्र माना जाएगा। सरकार ने इस पेंशन में पूरी पारदर्शिता रखने के लिए यह ठोस नियम बनाए हैं।
अधिसूचना के अनुसार हर माह की 10 तारीख तक परिवार पहचान पत्र प्राधिकरण पेंशन के पात्र लोगों की सूचना सामाजिक न्याय विभाग को उपलब्ध कराएगा।
माह के अंत तक विभाग सभी तथ्यों की जांच कर अगले माह की सात तारीख तक पात्रों का पेंशन पहचान पत्र बनाएगा और तत्पश्चात सम्बंधित व्यक्ति से सम्पर्क कर उससे पेंशन लेने की सहमति लेगा। सहमति मिलने पर हर माह पेंशन सम्बंधित व्यक्ति के खाते में पहुंचेगी। यह योजना गत एक जुलाई से प्रभावी हुई है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने करीब दो हफ्ते पहले अविवाहित और विधुरों के लिए 2750 प्रति माह पेंशन की घोषणा की थी।
सरकार के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार राज्य में ऐसे लोगों की संख्या 71 हजार है।
इन लोगों को भी पेंशन के दायरे में लाने से सरकार को हर माह लगभग 20 करोड़ रुपए अतिरक्ति खर्च करने होंगे तथा इससे सरकारी खजाने पर हर वर्ष लगभग 240 करोड़ रुपए का अतिरक्ति खर्च बढ़ेगा।
पेंशन योजना में विधुरों के लिए पात्रता उम्र 40 वर्ष निर्धारित की गई है।
केवल तीन लाख रुपये तक की सालाना आय वाले ऐसे व्यक्ति ही इस पेंशन के पात्र होंगे। राज्य में कम से कम एक साल से रह रहे व्यक्ति को ही इस पेंशन योजना का लाभ मिलेगा।
जबकि कुंवारों में यह पेंशन लाभ 45-60 आयु वर्ग के लोगों को ही मिलेगा। साठ साल की उम्र होने पर यह पेंशन बुढ़ापा सम्मान पेंशन में बदल जाएगी।