भारत सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी ) की ओर से जारी अधिसूचना में गुरुवार को यह जानकारी दी गई। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की एक अधिसूचना के अनुसार, ‘‘गैर-बासमती सफेद चावल (अर्ध-मिल्ड या पूरी तरह से मिल्ड चावल, चाहे पॉलिश किया हुआ हो या नहीं) की निर्यात नीति को मुक्त (फ्री) से प्रतिबंधित (बैन) कर दिया गया है।’’
हालांकि, इसमें कहा गया है कि इस चावल की खेप को कुछ शर्तों के तहत निर्यात करने की अनुमति दी जाएगी। इसमें इस अधिसूचना से पहले जहाज पर चावल की लदान शुरू होना शामिल है।
इसमें कहा गया है कि अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार की मंजूरी और अन्य सरकारों के अनुरोध पर निर्यात की भी अनुमति दी जाएगी।
इससे पहले, समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग ने बताया था कि भारत सरकार चावल की अधिकांश किस्मों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है।
प्रतिबंध से भारत का लगभग 80 प्रतिशत चावल निर्यात प्रभावित हो सकता है। हालांकि इससे भारत के भीतर चावल की कीमतें कम हो सकती हैं लेकिन वैश्विक कीमतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
भारत के प्रमुख चावल उत्पादक क्षेत्रों में बारिश के कारण पिछले 10 दिनों में अनाज की कीमतों में 20% तक की वृद्धि हुई है।
रूस ने तोड़ा अनाज समझौता
इससे पहले रूस ने भी युद्धग्रस्त देश यूक्रेन के साथ अनाज समझौते पर विराम लगा दिया है। इससे पूरी दुनिया में महंगाई बढ़ने की आशंका है।
रूस ने युद्ध के दौरान यूक्रेन को अफ्रीका, मध्यपूर्व और एशिया तक अनाज भेजने की अनुमति दी थी, लेकिन अब इस अभूतपूर्व सौदे पर सोमवार को रोक लगा दी।
रूस के राष्ट्रपति कार्यालय ‘क्रेमलिन’ के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान सौदे पर रोक लगाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि रूस की मांग पूरी होने के बाद ही वह इस सौदे पर से रोक हटाएगा।
रूस के इस कदम से विश्व अनाज बाजारों को लगड़ा झटका लगा है। यही नहीं, समझौते पर विराम लगाने के बाद रूस ने लगातार तीसरी रात यूक्रेनी बंदरगाहों पर हवाई हमले किए और यूक्रेन जाने वाले जहाजों के खिलाफ धमकी जारी की।
बंदरगाहों पर हवाई हमलों में कम से कम 27 नागरिकों के घायल होने की सूचना है। इन हमलों से इमारतों में आग लग गई और ओडेसा में चीन के वाणिज्य दूतावास को भी नुकसान पहुंचा।
वैश्विक खाद्य कीमतें बढ़ीं
खुद अमेरिका ने रूस की चेतावनी को गंभीरता से लेने को कहा है। अमेरिका ने कहा कि जहाजों के खिलाफ रूस की चेतावनी से संकेत मिलता है कि समझौते से हटने के बाद मास्को समुद्र में जहाजों पर हमला कर सकता है।
यूक्रेन को अनाज निर्यात करने की अनुमति देने के लिए संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता के चलते रूस से समझौता हुआ था। अब रूसी चेतावनी इस बात का संकेत है वह दुनिया के सबसे बड़े खाद्य निर्यातकों में से एक यूक्रेन पर अपनी नाकेबंदी फिर से लागू करने के लिए बल प्रयोग करने को तैयार है। इसने वैश्विक खाद्य कीमतों को बढ़ा दिया है।
मॉस्को का कहना है कि वह अपने स्वयं के भोजन और उर्वरक बिक्री के लिए बेहतर शर्तों के बिना वर्षों पुराने अनाज सौदे में भाग नहीं लेगा। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि रूस के फैसले से दुनिया के सबसे गरीब लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा को खतरा है।
यूक्रेन फिलहाल रूस की भागीदारी के बिना निर्यात फिर से शुरू करने की उम्मीद कर रहा है। लेकिन मॉस्को द्वारा सोमवार को समझौते से बाहर निकलने के बाद से कोई भी जहाज यूक्रेनी बंदरगाहों से रवाना नहीं हुआ है।
पिछले साल हुआ था ऐतिहासिक समझौता
रूसी प्रवक्ता पेस्कोव ने कहा, “जब रूस से संबंधित कालासागर समझौते को लागू किया जाएगा, तब रूस तत्काल इस सौदे पर से रोक हटा लेगा।” संयुक्त राष्ट्र और तुर्किये ने पिछले साल दोनों देशों के बीच एक ऐतिहासिक समझौता कराया था, जिसके तहत यूक्रेन को कालासागर क्षेत्र के रास्ते खाद्यान्न की आपूर्ति की अनुमति मिली थी।
इससे अलग एक समझौते के तहत पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच रूस को खाद्यान्न और उर्वरक की आपूर्ति की अनुमति मिली थी।
रूस और यूक्रेन दुनियाभर में गेहूं, जौ, सूरजमुखी का तेल और अन्य किफायती खाद्य पदार्थों की आपूर्ति करने वाले प्रमुख देशों में शुमार हैं।
विकासशील देश इन खाद्यान्नों के लिए इन देशों पर निर्भर हैं। रूस ने शिकायत की है कि नौपरिवहन और बीमा पर प्रतिबंध के कारण उसके खाद्यान्न व उर्वरक के निर्यात में बाधा उत्पन्न हुई है।
काला सागर अनाज पहल को जारी रखने में संरा के प्रयासों का समर्थन करता है भारत
भारत ने काला सागर अनाज पहल जारी रखने में संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों के प्रति समर्थन व्यक्त किया है और मौजूदा गतिरोध का शीघ्र समाधान होने की उम्मीद जताई है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज ने ‘यूक्रेन के अस्थायी कब्जे वाले क्षेत्रों में स्थिति’ पर महासभा की वार्षिक बहस में कहा कि भारत क्षेत्र में हालिया घटनाक्रम को लेकर चिंतित है, जो शांति एवं स्थिरता के बड़े मकसद को हासिल करने में मददगार साबित नहीं हुआ है।
कम्बोज ने कहा, ”भारत ने काला सागर अनाज पहल को जारी रखने में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रयासों का समर्थन किया है और वह वर्तमान गतिरोध के शीघ्र समाधान की उम्मीद करता है।”