पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्यूलर (JDS) को करारा झटका लगा है।
पार्टी बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से एनडीए की मीटिंग में शामिल होने के लिए चिट्ठी मिलने का इंतजार कर रही थी लेकिन इस मोर्चे पर मायूसी हाथ लगी है।
अब जेडीएस न तो कांग्रेस की अगुवाई वाले समान विचारधारा वाली किसी पार्टी के गठबंधन में शामिल है और न ही बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए का हिस्सा है।
जेडीएस के प्रवक्ता ने कहा कि उनकी पार्टी दोनों गठबंधनों से स्वतंत्र है और अपने वजूद पर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेगी।
जेडीएस के प्रवक्ता के मुताबिक, “हमें किसी भी बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया है। हम किसी भी गठबंधन में नहीं हैं। आगे हम इंतजार करेंगे और राजनीतिक परिस्थितियों देखेंगे।”
उन्होंने कहा कि हम अब पार्टी को संगठित करने और जनता से संबंधित मुद्दों को उठाने के बारे में चिंतित हैं।
एचडी कुमारस्वामी ने क्या कहा?
मंगलवार को बेंगलुरु में जब 26 विपक्षी दलों की महाबैठक हो रही थी, तब पत्रकारों से बात करते हुए कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने सवालिया लहजे में कहा, “उन्हें (कांग्रेस और भाजपा) मुझसे संपर्क क्यों करना चाहिए? हम भी एक विपक्षी दल की भूमिका निभा रहे हैं और हम दोनों पक्षों के साथ समान व्यवहार करते हैं।
केवल सार्वजनिक मंचों पर ही लोग हमारी पार्टी के भाजपा के साथ गठबंधन की बात कर रहे हैं, लेकिन ऐसी कोई सहमति नहीं बनी है। एनडीए दलों की बैठक में हमारे बारे में चर्चा होगी या नहीं, इसके बारे में भी मुझे कुछ नहीं पता।”
2019 में कांग्रेस संग लड़ा था चुनाव
पूर्व प्रधानमंत्री के पूर्व सीएम बेटे का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब जेडीएस बीजेपी के साथ कर्नाटक विधानसभा में नेता विपक्ष की कुर्सी और 2024 में आगामी लोकसभा चुनावों में गठबंधन के मुद्दे पर बात कर रही थी।
जेडीएस इससे पहले दोनों( कांग्रेस और बीजेपी) के साथ मिलकर कर्नाटक में सरकार बना चुकी है। इतना ही नहीं 2019 में जेडीएस ने कांग्रेस के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था।
देवगौड़ा ने कहा था- चिट्ठी का है इंतजार
बता दें कि एक दिन पहले ही कुमारास्वामी के पिता और जेडीएस नेता एचडी देवगौड़ा ने कहा था कि वह एनडीए की बैठक में शामिल होंगे लेकिन जेपी नड्डा के न्यौते का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा था कि आगे की रणनीति उसी पर निर्भर करेगी। पूर्व प्रधानमंत्री ने कांग्रेस की अगुवाई वाले 26 दलों की बैठक में शामिल होने से इनकार किया था।
अंदरखाने क्या डील?
दरअसल, जेडीएस ने बीजेपी को प्रस्ताव दिया है कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी को दिया जाय। बीजेपी ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं किया है और अभी तक वह पद खाली है।
जेडीएस और बीजेपी की दोस्ती बहुत हद तक इस प्रस्ताव पर भी निर्भर करेगी। बता दें कि दोनों ही पार्टियों के सीनियर नेता कर्नाटक में आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर चुनाव पूर्व गठबंधन करना चाहते हैं।
दोनों ही दलों में इस पर कई दौर का चर्चा भी हो चुकी है लेकिन अभी तक उसका औपचारिक ऐलान नहीं हो सका है। कर्नाटक में यह दोस्ती इसलिए भी अहम है क्योंकि राज्य में लोकसभा की 28 सीटें हैं। फिलहाल 25 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है लेकिन हालिया चुनाव के नतीजों ने बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है।
जेडीएस की भी बीजेपी के साथ गठबंधन करने की मजबूरी है। विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद पार्टी लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना चाह रही है, इसलिए बीजेपी के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था।
बीजेपी नेताओं के एक वर्ग ने जेडीएस को बीजेपी में विलय की सलाह दी थी जिसे जेडीएस ने खारिज कर दिया था लेकिन ये सब मूर्त रूप नहीं ले सका।
अब बदली हुई परिस्थितियों में 2024 में दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतार सकते हैं।