पठारी( परधान गोंड) आदिवासी समाज का हुआ बैठक- सामाजिक पदाधिकारियों का हुआ चुनाव…
जगदलपुर /करपावंड :- बकावंड ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम करपावंड में पठारी ( परधान गोंड) अनुसूचित जनजाति समाज का जिला स्तरीय बैठक हुआ |
जहाँ जिले के विभिन्न ब्लॉक से समाज के सदस्यों ने हिस्सा लिया | बैठक का मुख्य विषय अपना सांस्कृतिक व ऐतिहासिक धरोहर की पुनः स्थापना थी |
इस विषय पर चिंता जताई गई कि वर्तमान में समाज धिरे धिरे अपनी संस्कृति भाषा बोली व इतिहास को भुलता चला जा रहा है | गोंडवाना समाज का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा होने के बावजूद, उससे दुर हो रहा है | जिसका मुख्य कारण अपनी संस्कृति से दूरी बना लेना है |
चर्चा में वरिष्टो ने बताया कि पठारी दरअसल गोंडी पुनेम के परंपरागत व आनुवंशिक प्रचारक है | पठारी शब्द गोड़ी शब्द पाटाडी का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है संगीतज्ञ | कहा जाता है कि वर्तमान पठारी ( परधान) समाज हिरासुका लिंगों के वंशज हैं, जो गोंडवाना के प्रथम संगीतकार थे | इन्हें परधान, दसौंधी, परगनिहा, मोकासी इन नामों से भी जाना जाता है |
कहा जाता है कि पठारी सम गोत्र के गोड़ के वंशानुगत पुजारी होते हैं | और हर सांस्कृतिक मौके पर किंगरी बाना (वाद्ययंत्र) लेकर बड़ादेव और पुरखा को जगाता है | बगैर पठारी का गाना सुने वे नहीं जागते | पठारी अपने सम गोत्रीय गोड का पूरा वंशावली व इतिहास का जीवंत किताब है |
परंतु वर्तमान में इस परंपरा को भुलते जा रहे हैं | इसलिए हर गांव व ब्लॉक स्तर पर बाना गुड़ी की स्थापना का संकल्प लिया गया | जिसमें गोंडवाना के सभी पांच बानाओ की स्थापना की जाय |
तथा सभी गुड़ी में ईशर गवरा मड़मिंग ठीयां की भी स्थापना कि जाएगी बैठक में समाज को नशामुक्त करने पर भी चर्चा हुई | साथ ही गरीब परिवारों की शादीयां पूरे समाज की जिम्मेदारी है, इसे स्वीकारा गया |
समाज के सामाजिक ढांचे के लिए सर्वसम्मति से नवनिर्वाचित पदाधिकारियों का चयन बस्तर जिला स्तरीय हेतु इस तरह हुआ संरक्षक कामता प्रसाद कोर्राम, रामप्रसाद मरकाम, मदन सिंह कश्यप, रूपसिंह मंडावी, अध्यक्ष राकेश कुमार नाग, उपाध्यक्ष नत्थू नाग, देवेश मरकाम, कोषाध्यक्ष देवेंद्र मरकाम, जेवन्त ध्रुव,
चैन सिंह मरकाम, धनेश नाग,सचिव संतोष ध्रुव, जोगेश कुंजाम, महामंत्री पंकज कोर्राम, धीरज सोरी, पवी नाग, सुजीत मरकाम, केसनाथ, कार्यकारिणी सदस्य केजु राम नाग, दीपक ध्रुव, टिकेश नाग को सर्वसम्मति से चुने गए। इसके अलावा समाज के लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे।