2019 के चुनावों की ही तरह 2024 के चुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक चलते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने गन्ने का FRP बढ़ाकर 315 रुपये प्रति क्विंटल करने और प्रति बैग 242 रुपये की यूरिया सब्सिडी देने समेत विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए 3.70 लाख करोड़ रुपये के कुल परिव्यय को मंजूरी दी है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के लिए 3.70 लाख करोड़ रुपये के कुल परिव्यय को मंजूरी दी है; पैकेज में विभिन्न घटक हैं जो टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देकर किसानों की भलाई और आर्थिक बेहतरी पर केंद्रित हैं।”
केंद्रीय मंत्री ने बताया, “कैबिनेट ने नीम कोटिंग शुल्क को छोड़कर 45 किलोग्राम प्रति बैग पर ₹ 242 की समान कीमत पर किसानों को यूरिया की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यूरिया सब्सिडी योजना को मंजूरी दे दी है। इस स्वीकृत पैकेज में तीन वर्षों (2022-23 से 2024-25) के लिए यूरिया सब्सिडी के तौर पर 3,68,676.7 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।”
‘पीएम-प्रणाम’ योजना को भी मंजूरी:
मंत्रिमंडल ने वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने और रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग को कम करने के मकसद से राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए नई योजना ‘पीएम-प्रणाम’ को भी मंजूरी दी है।
इसके अलावा, योजना के एक अन्य पहलू के रूप में धरती माता की पुनर्स्थापना, जागरूकता सृजन, पोषण और सुधार की मंजूरी पर भी चर्चा की गई। मांडविया ने प्रधान मंत्री किसान समृद्धि केंद्रों (पीएमकेएसके) के बारे में भी बात की और कहा कि यह एक लाख तक पहुंच गया है।
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 2023-24 सत्र के लिये गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 10 रुपये बढ़ाकर 315 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया।
एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य है, जिस पर चीनी मिलें किसानों से गन्ना खरीदती हैं। गन्ने का पेराई सत्र अक्टूबर से शुरू होता है।
मोदी सरकार किसानों को सशक्त बनाने को प्रतिबद्ध: शाह
गन्ने के अब तक के सर्वाधिक उचित और लाभकारी मूल्य को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दिये जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि मोदी सरकार किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस फैसले से करीब पांच करोड़ गन्ना किसानों को और चीनी मिलों में काम कर रहे लाखों श्रमिकों को लाभ होगा।
शाह ने कहा, ”मोदी सरकार किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्रिमंडल द्वारा गन्ना किसानों के लिए अब तक के सर्वाधिक उचित और लाभकारी मूल्य को मंजूरी देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार।”
गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने कैबिनेट की बैठक में अनेक योजनाओं को मंजूरी दी है जो किसानों के कल्याण के उसके संकल्प को दर्शाती हैं।
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक को मंजूरी:
उन्होंने कहा, ”इन योजनाओं से किसानों की खेती की लागत कम होगी और उत्पादकता बढ़ेगी। साथ ही प्राकृतिक खेती, नैनो यूरिया और जैविक खाद जैसे नए विकल्पों को बढ़ावा देने से कृषि में उपयोग होने वाली भूमि की स्थिति में भी बहुत सुधार आएगा।”
मंत्रिमंडल की बैठक में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक को भी मंजूरी दी गई है। इसके लिए कुल 50,000 करोड़ रुपये आवंटित की गई है जो भारत में कृषि आधारित वैज्ञानिक अनुसंधान के मार्गदर्शन का रास्ता साफ करेगा।
किसान सम्मान निधि का सालाना बजट था 75,000 करोड़:
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले दिसंबर 2018 में मोदी सरकार ने किसानों को लुभाने के लिए किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा की थी।
तब हरेक चार माह की किश्त पर लगभग 25000 करोड़ और सालाना 75 हजार करोड़ रुपये का व्यय अनुमानित था। इस योजना के तहत सभी छोटे और सीमांत किसानों को 2000 रुपये प्रति किश्त दिए जाने थे।
इस योजना ने बीजेपी के पक्ष में किसानों को लामबंद करने में काफी मदद की थी और 2014 से भी ज्यादा वोट परसेंट और सीटों के साथ बीजेपी ने 2019 के आम चुनावों में जीत दर्ज की थी।
2024 के चुनावों से ऐन पहले किसानों पर मोदी सरकार के नए फैसले को भी उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। नई योजनाओं के लिए किसान सम्मान निधि के मुकाबले चार गुना से ज्यादा रकम आवंटित की गई है।