बलौदाबाजार। जिले में रेत माफिया शासन के सारे नियमों को ताक में रखकर महानदी का लगातार सीना छलनी करने पर उतारू है. पर्यावरण विभाग द्वारा वर्षा ऋतु प्रारंभ होते ही रेत का उत्खनन बंद करने का नियम है, लेकिन जिले में रेत माफिया द्वारा इसका खुला उल्लंघन किया जा रहा है. इन सबसे वाकिफ होने के बाद भी जिला खनिज विभाग में पदस्थ मौन साधे हुए हैं.
जिले में महानदी पर 20 से अधिक रेत खदान संचालित है. इन खदानों में पर्यावरण मंडल द्वारा बनाये गए सारे नियमों को ताक मे रखकर अवैध उत्खनन किया जा रहा है. वर्षा ऋतु प्रारंभ होते ही जून महीने से रेत का उत्खनन बंद करने का नियम है, इसके बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों की शह पर अभी भी उत्खनन जारी है.
गजब का नेटवर्क और सेटिंग
रेत माफियाओं का जिला खनिज अधिकारी कार्यालय मे गजब की सेंटिग है. कलेक्टर के अवैध उत्खनन पर कार्रवाई करने का आदेश जारी करते ही रेत माफियाओं को इसकी जानकारी लग जाती है, और बलौदाबाजार मे पदस्थ खनिज अधिकारी इन माफियाओं को इतना पर्याप्त समय देते हैं कि जब शासकीय अमला खदान में पहुंचता है तो एक भी गाड़ी इनको नहीं मिलती और ये अधिकारी खानापूर्ति कर वापस चले आते है.
चालक नहीं होने से अटकी कार्रवाई
आलम यह है कि आज जब खनिज इंसपेक्टर रेत खदान में जांच के लिए पहुंचे तो वहां कोई गाड़ी नहीं मिली. केवल एक पोकलेन मशीन मिली है, जिसपर कार्रवाई कर खनिज विभाग का अमला वापस लौट गया. वहीं खदान से कुछ दूरी पर इन्हें रेत से भरी गाड़ियां मिलती भी है, लेकिन वाहन चालक के अभाव में इन पर कार्रवाई न करते हुए छोड़कर वापस आ जाते हैं, और खानापूर्ति के नाम पर एक-दो गाड़ियों पर कार्रवाई दिखा कर्तव्य की इतिश्री कर देते हैं.
सरकार को राजस्व की दोहरी हानि
रेत खदान से निकलने वाली गाड़ियों में क्षमता से अधिक ओव्हर लोड रेत भरी होती है, जिससे सड़कें खराब हो रही है, साथ ही इन ओव्हर लोड वाहनों से सरकार को दोहरे राजस्व की हानि उठानी पड़ रही है. एक तो रेत का अवैध उत्खनन और ऊपर से ओव्हर लोड गाड़ियों की वजह से सड़कों के खराब होने पर उनकी मरम्मत पर खर्च. लेकिन इन सबसे जिले के अधिकारियों को कोई सरोकार नहीं है, उन्हें तो बस खानापूर्ति कर अपनी तनख्वाह लेना है और चुप रहना है.
न रॉयल्टी कट रही, न शुल्क दे रहे
ग्राम मोहान के सरपंच फिरत राम का कहना है कि चौबीसों घंटे रेत नदी से रेत निकाली जा रही है. न ही रायल्टी कट रही है, न कोई शुल्क दे रहे हैं. प्रतिदिन लगभग सौ से डेढ़ सौ गाड़ियां निकलती हैं. ओव्हर लोड होने के कारण गांव की सड़क भी खराब हो रही है. शासन को जानकारी देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.