जानकारी के अनुसार, 6 पालकों ने चपरासी को पैसे दिए. किसी ने पहली क़िस्त के रूप में 4 हजार दिए तो किसी ने 2 हजार तो किसी ने 1500 की रकम प्यून को दी. इतना ही नहीं प्यून ने पालकों को ये कहते हुए भरोसा दिलाया कि, स्कूल के प्रिंसिपल के माध्यम से आपके बच्चों की भर्ती करवा दूंगा.
विकासखंड शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर से लिखित शिकायत कर, मामले में प्यून के साथ उच्च अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप लगा जांच कार्रवाई की मांग की है. वहीं आरोपी प्यून का कहना है कि, मैने प्रिंसिपल के कहने पर ही बच्चों के पालकों से एडमिशन कराने के लिए पैसे लिए हैं. इस मामले में प्रिंसिपल ने प्यून के आरोपों को झूठा बताते हुए बदनाम करने की साजिश करने की बात कही है.
पालक श्रीराम साहू ने बताया कि, प्यून के अकेले का काम नहीं है. प्रिंसिपल की भी पूरे मामले में संलिप्तता दिखाई दे रही है. कलेक्टर को आवेदन किया गया है. प्यून के साथ-साथ प्रिंसिपल पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. ताकि दोबारा गलती न हो. हालांकि, मामला सामने आने के बाद जांच टीम गठित कर जांच शुरू कर दी गई है. सवाल ये भी खड़े हो रहे हैं कि प्यून की इतनी हिम्मत तो नहीं होगी कि, वह इतनी बड़ी घटना को किसी बड़े अधिकारी के सपोर्ट बिना अंजाम दे सके.