रूस ने करीब 15 महीने पर यूक्रेन पर हमला बोला था।
इसके बाद से यह युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। यूरोप समेत पूरी दुनिया इस कोशिश में है कि इस युद्ध को रोका जाए, लेकिन रूस मान नहीं रहा है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रूसी राष्ट्रपति के सामने कह चुके हैं कि यह युद्ध का समय नहीं है। इसके बावजूद युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है।
इस बीच नाटो के सेक्रेट्री जनरल जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा है कि चीन यूक्रेन और रूस के युद्ध पर नजदीकी नजर रख रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध का ग्लोबल असर
नाटो के सेक्रेट्री जनरल जेन्स स्टोलटेनबर्ग का कहना है कि यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध पूरी दुनिया पर असर डाल रहा है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जेन्स स्टोलटेनबर्ग का कहना है कि यह युद्ध यूक्रेन के लोगों के लिए किसी तबाही से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि इस युद्ध से यह संदेश जा रहा है कि ताकतवार देश और राष्ट्रप्रमुख ताकत के दम पर कुछ भी हासिल कर सकते हैं।
यह भावना ही अपने आप में बेहद खतरनाक है। जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि बीजिंग के इस युद्ध पर नजदीक से नजर रखने के पीछे एक खास वजह है।
चीन को उम्मीद है कि पुतिन इस युद्ध के लिए जितनी बड़ी कीमत चुकाएंगे, वह उतनी ही बड़ी कीमत हासिल करेगा। उन्होंने कहा कि बस यही एक बात है, जो न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के लिए चिंता का विषय है।
चीन के रोल को कैसे देखता है नाटो?
नाटो के सेक्रेट्री जनरल के मुताबिक अभी तक यह देखने में आया है कि चीन अभी तक अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन की हिम्मत नहीं दिखा पाया।
हालांकि चीन और रूस काफी करीब होकर काम कर रहे हैं। उनसे पूछा गया था कि क्या इंडो-पैसिफिक में चीन की बढ़ती आक्रामक गतिविधियों पर भी नाटो की निगाह है? इसके जवाब में जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि इससे यह दिखाई रहा है कि सुरक्षा अब क्षेत्रीय नहीं, बल्कि ग्लोबल मसला हो गया है।
इंडो-पैसिफिक में जो कुछ होगा वह एशिया के लिए चिंता का विषय होगा। वहीं, यूरोप में अगर कुछ होता है तो एशिया के लिए चिंता की बात होगी।
उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि कैसे चीन ने दक्षिण चीन सागर के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण कर लिया है। उसका जबरदस्ती व्यवहार, ताइवान के खिलाफ हिंसा के संभावित उपयोग का खतरा।