2009 में भी शुक्रवार को ही हादसे का शिकार हुई थी कोरोमंडल एक्सप्रेस, तब कितनी मौतें…

ओडिशा में शुक्रवार 2 मई की शाम तीन ट्रेनों के बीच भीषण टक्कर में सैकड़ों जिंदगियां लील गई।

मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। खबर लिखे जाने तक इस हादसे में 280 लोग मारे जा चुके हैं और 900 से ज्यादा घायल हैं।

आर्मी, वायुसेना और स्थानीय प्रशासन-पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें युद्ध स्तर पर जिंदगियां तलाश रहे हैं। हादसे में सबसे ज्यादा प्रभावित कोरोमंडल एक्स्प्रेस हुई, जो शालीमार स्टेशन से चेन्नई के लिए निकली थी।

दुखद इत्तेफाक है कि साल 2009 में भी शुक्रवार को ही कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे का शिकार हुई थी। जानें, तब कितनी जिंदगियां लील गईं थीं?

ओडिशा के बालासोर इलाके में हुए ट्रेन हादसे में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालांकि रात से युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन भी चल रहा है।

आर्मी के बाद वायुसेना भी स्थानीय प्रशासन और एनडीआरएफ के साथ राहत-बचाव कार्य में जुड़ गया है। रेल अधिकारियों के अनुसार, पिछले एक दशक में यह सबसे भीषण रेल हादसा है।

घायलों और मृतक के परिजनों को हर संभव मदद मुहैया कराई जा रही है। पीएम राहत कोष और रेलवे द्वारा मुआवजे की भी घोषणा की गई है। हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं। 

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि हर संभव मदद पहुंचाई जा रही है। कोशिश की जा रही है कि जल्द से जल्द रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर लिया जाए लेकिन, इस तरह के हादसों में राहत-बचाव कार्य में लंबा वक्त लग सकता है।

उन्होंने बताया कि हादसे की जांच के लिए इंक्वायरी कमेटी का गठन किया जा चुका है, जिसके बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

2009 का हादसा
दुखद इत्तेफाक यह है कि साल 2009 में भी कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना का शिकार हुई थी। तारीख थी 13 फरवरी 2009। उस वक्त हादसा शाम साढ़े सात बजे से 7.40 के बीच हुआ था।

2 जून शुक्रवार 2023 को कोरोमंडल एक्स्प्रेस हादसा शाम को तकरीबन 7 बजे हुआ था। 2009 में जब यह हादसा हुआ तब ट्रेन बहुत तेजी से जाजपुर रोड रेलवे स्टेशन की तरफ तेजी से बढ़ रही थी।

ट्रैक बदलते हुए ट्रेन का इंजन  एक ट्रैक पर चला गया और ट्रेन की बोगियां पलट गई। कुछ क्षणों में बोगियां सभी दिशाओं में बिखर गई। इस हादसे में 16 यात्रियों की मौत हुई थी। 

आजादी के बाद की सबसे बड़े हादसों में एक
ओडिशा के बालासोर इलाके में हुए रेल हादसे में खबर लिखे जाने तक 280 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। जबकि, 900 से अधिक घायल हैं।

यह हादसा न केवल हाल के दिनों में बल्कि आजादी के बाद की सबसे घातक दुर्घटनाओं में से एक है। इस भयावह हादसे ने गसाल (1999) और ज्ञानेश्वरी (2010) हादसे की घटनाएं ताजा कर दी हैं। ये दोनों हादसे पश्चिम बंगाल में हुए थे।

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