बाड़ी विकास योजना से हुए आर्थिक लाभ से एक जोड़ी बैल खरीदा
छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के चार घटकों में से एक बाड़ी विकास कार्यक्रम को अपनाकर ग्रामीण किसान अपनी रोजमर्रा की पारिवारिक जरूरतों को पूरा करने के साथ ही अतिरिक्त आय अर्जित करने लगे है।
बाड़ी विकास कार्यक्रम के तहत बीते साढ़े चार सालों में राज्य में लगभग 4 लाख व्यक्तिगत बाड़ियां ग्रामीण किसानों के यहां विकसित हुई है, जिसमें साग-सब्जी और फलदार पौधे लगाकर ग्रामीण किसान अपने परिवार का भरण-पोषण करने के साथ-साथ आर्थिक लाभ अर्जित करने में सक्षम हुए है।
दुर्ग जिले के ग्राम पोटिया के कृषक श्री महेश्वरी राम यादव बाड़ी विकास योजना के ऐसे ही लाभान्वित सफल कृषक है, जिन्होंने इसके जरिए अपनी परिवार की माली हालत को बेहतर किया है।
उन्होंने बताया कि बाड़ी योजना के तहत उनके पास खेती लायक जमीन थी। उद्यानिकी विभाग से व्यावसायिक जानकारी एवं मार्गदर्शन लेकर वे इस जमीन पर सब्जी-भाजी का उत्पादन करने के साथ ही फलदार पौधों का रोपण किया है।
सब्जी-भाजी की व्यावसायिक खेती से उन्हें लाभ होने लगा है। श्री यादव ने आज से लगभग एक वर्ष पूर्व अपनी बाड़ी में सब्जी-भाजी की खेती शुरू की।
परिवार के लिए सब्जी-भाजी की जरूरत पूरी करने के साथ-साथ वह अतिरिक्त उत्पादित सब्जियों को स्थानीय बाजार में बेचकर 45 से 46 हजार रूपए की अतिरिक्त आय अर्जित कर चुके हैं।
शासन की ओर से समय-समय पर उन्हें खेती-बाड़ी के लिए खाद, बीज उपलब्ध कराया जाता है।
बाड़ी योजना के तहत अपने बाड़ी में भिंड्डी, पत्ता गोभी, प्याज भाजी एवं अन्य सब्जी-भाजी को बाजार में बेचने से हुई आय से उन्होंने कृषि कार्य के लिए एक जोड़ी बैल खरीदा है। यादव ने अब सब्जी-भाजी की खेती के साथ-साथ एक एकड़ में नेपीयर घास की खेती भी कर रहे हैं।
महेश्वरी राम यादव बहुत ही परिश्रमी है। वह खेती बाड़ी के साथ-साथ राजमिस्त्री का कार्य भी करते हैं।
यादव ने अपने परिश्रम और मनोयोग से परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करते हुए स्व-रोजगार की ओर अग्रसर हैं।