डबरी विकास करने से मछलीपालन आरंभ किया, साथ ही सब्जी भाजी भी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा ग्रामीण विकास के लिए ग्रामीणों को छोटी-छोटी अधोसंरचनाएं उपलब्ध कराने के निर्देश से जमीनी स्तर पर बड़ा बदलाव नजर आ रहा है।
लोग न केवल खेती के साथ नये प्रयोग कर रहे हैं, अपितु कई तरह से आजीविकामूलक गतिविधि कर रहे हैं।
एक छोटा सा उदाहरण जगमोहन का लें। जगमोहन मनेंद्रगढ़ जिले के खड़गवां के निवासी हैं। जिला प्रशासन के अधिकारियों ने उनसे संपर्क किया और ऐसी गतिविधि आरंभ करने के लिए कहा, जिससे आय बढ़ सके।
उन्हें सुझाया गया कि वे डबरी बना सकते हैं। मत्स्यपालन में काफी लाभ है और बाड़ी के लिए भी सहयोग मिलेगा।
प्रशासन द्वारा डबरी निर्माण के लिए 1 लाख 96 हजार रुपए स्वीकृत हुआ। मनरेगा के माध्यम से उन्होंने, गांव के दूसरे लोगों ने और उनके परिवारजनों ने बड़ी मेहनत की।
मनरेगा की मजदूरी भी उन्हें प्राप्त हुई। फिर डबरी तैयार हुई। मत्स्यपालन विभाग के अधिकारी आये और मछलीपालन के लिए जरूरी सुझाव दिये।
अधिकारियों ने बताया कि अच्छी तरह से मछलीपालन की तकनीक पर काम करें तो इसके माध्यम से अच्छी आय हासिल हो सकती है।
जगमोहन ने कड़ी मेहनत की। इस साल उन्होंने लगभग 80 हजार रुपए कमा लिये। डबरी में पानी स्टोर हुआ तो बगल में बाड़ी लगा ली। इससे पहले बाड़ी वीरान थी क्योंकि पानी नहीं था।
पानी की अच्छी सुविधा हो गई तो हार्टिकल्चर विभाग के अधिकारियों ने जमीन की प्रकृति के अनुसार सब्जी-भाजी सुझाई। बाड़ी में अच्छी सब्जी भाजी हुई और इस साल उन्होंने 30 हजार रुपए कमाए हैं।
जगमोहन बताते हैं कि इससे उनकी आर्थिक तरक्की की राह खुल गई है। साल का एक लाख रुपए केवल एक डबरी से आ रहा है।
इससे पहले बाड़ी के महत्व से परिचित नहीं थे।
मुख्यमंत्री द्वारा इस पर जोर दिया गया, अधिकारियों ने लगातार संपर्क किया और हमें प्रेरित किया। इसका सुंदर परिणाम हुआ है और हम सब बहुत खुश हैं। हमारे परिवार के लिए अतिरिक्त बचत हो रही है।
सरकार की योजनाओं के चलते बिना कुछ निवेश किये हर साल एक अच्छी खासी आय का जरिया हमें उपलब्ध हो गया है।