पाकिस्तान की आर्थिक हालत इतनी खराब है कि अब वह अपने अधिकारियों और कर्मचारियों के बच्चों को शिक्षा दिलाने की भी स्थिति में नहीं है।
पाकिस्तान उच्चायोग ने दिल्ली में चलाए जाने वाले अपने स्कूल को बंद कर दिया। नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के एक प्रवक्ता ने मीडिया के सवाल के जवाब में कहा कि वर्तमान शैक्षणिक सत्र पूरा होने के बाद पाकिस्तान उच्चायोग स्कूल की गतिविधियों को बंद कर दिया गया।
इसके पीछे पाकिस्तान के उच्चायोग ने कर्मचारियों की कम संख्या का हवाला दिया है और कहा है कि इसके मद्देनजर कम नामांकन हुआ।
आम जनता के लिए नहीं था स्कूल
यह स्कूल कभी भी आम जनता के लिए नहीं खुला था। यह मुख्य रूप से उच्चायोग के कर्मचारियों के बच्चों के लिए ही था। जून 2020 में भारत ने फैसला किया कि पाकिस्तान उच्चायुक्त के कर्मचारियों की तादाद आधी की जाए।
साथ ही भारत ने भी इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग के कर्मचारियों में आधी कटौती की थी। इसके बाद पाकिस्तानी उच्चायोग के बहुत से राजनयिक अपने देश लौट गए थे।
सूत्रों का कहना है कि भारत में पाकिस्तानी उच्चायोग बार-बार विदेश मंत्रालय से संपर्क कर रहा था कि उसे फंड दिया जाए लेकिन उधर से उसकी अर्जी खारिज कर दी गई।
विदेशों में पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे मिशन भी इसी तरह फेल हो गए हैं। बजट की कमी की वजह से उन्हें बंद कर दिया गया है।
पाकिस्तान हाई कमीशन को इस्लामाबाद से लगातार खर्च कम करने के आदेश दिए गए। पाकिस्तान में इन दिनों एक डॉलर की कीमत करीब 285 रुपये हो गई है।
बताया जा रहा है कि राजधानी में पाकिस्तानी उच्चायोग के स्कूल में एक साल से शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गाय था। पाकिस्तान सरकार ने दूसरे देशों में अपने दूतावासों और उच्चायोगों में कटौती के निर्देश दिए हैं।