गौठान से जुड़कर आर्थिक सशक्तिकरण की तरफ बढ़ रही हैं महिलाएं
जगदलपुर : पहले मजदूरी करती थीं डिमरापाल की रैला, गौठान से जुड़कर अब गोबर खाद बना रही हैं
समूह के साथ मिलकर कर चुकी हैं 60 हजार रुपए की कमाई
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्राम सुराजी योजना की शुरूआत की थी। जिसके तहत अब बस्तर की महिलाएं नया आयाम तय कर रही हैं।
ऐसी महिलाओं में शामिल है डिमरापाल की रैला मौर्य, जो गोबर खाद और गोबर बेचकर पैसे कमा रही हैं। 6 महिलाओं के इस समूह ने अब तक कुल 70 क्विंटल गोबर खाद तैयार कर लिया है।
यही नहीं उन्होंने 60-65 हजार रुपए की कमाई सिर्फ खाद बेचकर की है। रैला बताती हैं कि गौठान में सभी तरह की सुविधाएं उन्हें मिल रही है। खाद बनाने के लिए शेड तैयार किया गया है। खाद बनाने की ट्रेनिंग दी गई। अब वे अपने समूह के साथ मिलकर खाद तैयार करती हैं,
उन्हें नापकर खुद खाद की बोरी तैयार करती हैं और फिर बेच देती हैं। रैला कहती हैं कि उनके 5 बच्चे हैं जिनमें से 2 की शादी उन्होंने की है। खाद बेचकर जो पैसे मिल रहे हैं उसे वे अपने बच्चों की अच्छी परवरिश में खर्च करेंगी।
रैला की ही तरह गुड़िया और कारी भी गौठान में काम करती हैं। गुड़िया कहती हैं कि मैं बुजुर्ग हो गई हूं लेकिन यहां मैं किसी से पैसे नहीं मांगती हूं। यहां से मिले पैसों से मैं अपने पोतेकृोतियों को लिए कुछ न कुछ खरीदते रहती हूं जिससे वे काफी खुश रहते हैं।