खेलों का नक्सलगढ़ : प्रदेश का पहला स्पोर्ट्स कॉरिडोर बस्तर में यहां 12 से ज्यादा खेल, प्रैक्टिस व ट्रेनिंग भी…..

खेलों का नक्सलगढ़ : प्रदेश का पहला स्पोर्ट्स कॉरिडोर बस्तर में यहां 12 से ज्यादा खेल, प्रैक्टिस व ट्रेनिंग भी….

OFFICE DESK : नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में अब खेलों का गढ़ भी बन रहा है। जगदलपुर में छत्तीसगढ़ का इकलौता ऐसा खेल परिसर बनकर तैयार हो चुका हैं,

जहां एक साथ दर्जन भर खेलों के मुकाबले कराए जा सकते हैं। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर का फुटबॉल सिंथेटिक ग्राउंड भी बनकर तैयार है। यह प्रदेश का पहला फीफा एप्रूव्ड ग्राउंड हैं। खास बात यह है कि दो साल में इसी संभाग से 54 खिलाड़ी यहीं प्रैक्टिस करते हुए नेशनल तक पहुंच गए हैं।

राजधानी के मुकाबले बस्तर का खेल आगे निकल रहा है। बस्तर के खिलाड़ी खेल सुविधाओं का फायदा उठाते हुए स्टेट और नेशनल लेवल में मेडल जीत रहे हैं। पहले बस्तर के खिलाड़ियों को ट्रेनिंग के लिए दूसरे जिलों में हाजरी लगानी पड़ती थी। लेकिन अब बस्तर के खिलाड़ी रायपुर और अन्य जिले के खिलाड़ियों को पछाड़ रहे हैं।

स्कूल नेशनल में आज तक राजधानी की टीम बस्तर को पराजित नहीं कर सकी है। जगदलपुर, नक्सल प्रभावित ऐसा पहला जिला है, जहां एक साथ 12 खेलों की एकेडमी हैं। जिले के कलेक्टर की पहल पर यह एकेडमी खुली है। छत्तीसगढ़ का खेल विभाग तो 20 साल में सिर्फ चार खेलों की डे-बोर्डिंग एकेडमी ही खोल सका है।

जबकि बस्तर की एकेडमी में फुटबॉल, वालीबॉल, बास्केटबॉल, हैंडबॉल, बैडमिंटन, एथलेटिक्स, जूडो, कराते, कबड्‌डी, टेबल टेनिस, चेस और टेनिस की ट्रेनिंग दी जा रही है। अभी केवल ट्रायल बेसिस पर जिले के सीनियर खिलाड़ियों जूनियर खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। जल्द ही कोच की भर्ती भी की जाएगी।

नक्सली हिंसा पीड़ित खिलाड़ियों को जगह

एकेडमी में ऐसे खिलाड़ियों को भी जगह दी जाएगी। जिनके माता-पिता को नक्सलियों ने मार दिया है। उन्हें खेलों के जरिए अपना मुकाम तय करने का मौका दिया जाएगा। खिलाड़ियों के डाइट पर पूरा ध्यान दिया जाएगा। 8 से लेकर 15 तक के खिलाड़ियों को बोर्डिंग हाॅस्टल में रख कर ट्रेनिंग दी जाएगी। पहले चरण में केवल बस्तर के खिलाड़ियों को मौका मिलेगा।

दो साल में 50 करोड़ की लागत से बना स्पोर्ट्स कॉरिडोर

जिला प्रशासन की एक पहल के कारण जगदलपुर खेल जगत में छा गया है। जिला प्रशासन ने यहां ने एक साथ 12 खेलों की एकेडमी शुरू करने की कवायद शुरु कर दी है।

पहले चरण में यहां डे-बोर्डिंग के तहत खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। वहीं, दूसरी ओर बोर्डिंग एकेडमी के तहत 100 खिलाड़ियों के ठहरने की व्यवस्था भी कर दी जाएगी।

वहीं, दलपत सागर में कयाकिंग-केनोइंग की ट्रेनिंग दी जा रही है। यहां से तीन किमी दूर घरमपूरा में 400 और 200 मीटर एथलेटिक ट्रैक के साथ आर्चरी रेंज बनकर तैयार है। इसके लिए 12.5 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।

मैदानों पर फ्लड लाइट्स, रात में प्रैक्टिस

खिलाड़ियों को रोज छह घंटे की प्रैक्टिस कराई जाती है। यहां लगभग सभी मैदानों पर फ्लड लाइट्स है। इससे खिलाड़ी रात में भी प्रैक्टिस कर पाते हैं। साथ ही, बड़े इवेंट रात में कराए जा सकते हैं। सीनियर खिलाड़ियों ने कहा कि लोग आज जिले को नक्सल क्षेत्र के तौर पर जानते हैं। पर कुछ सालों में इसकी मेडलिस्ट खिलाड़ियों के नर्सरी के तौर पर होगी।

प्रशासन का टारगेट : ओलंपिक 2028

जिला प्रशासन का टारगेट बस्तर के खिलाड़ियों को ओलंपिक 2028 और 2032 के लिए तैयार करना है। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। जानकारों ने बताया कि बस्तर के खिलाड़ियों में स्टैमिना की कमीं नहीं है। अन्य जिलों की तुलना में यहां के खिलाड़ियों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, तो यहां के खिलाड़ी इंटरनेशनल लेवल में मेडल जीतने का दम रखते हैं।

दम भी दिखाया…

एथलेटिक्स-कयाकिंग कैनोइंग में 15 खिलाड़ी नेशनल में, पदम को गोल्ड

बस्तर से हर साल 50 से अधिक खिलाड़ी नेशनल चैंपियनशिप में भाग ले रहे हैं। इसमें कयाकिंग-कैनोइंग, हॉकी और एथलेटिक्स में सर्वाधिक खिलाड़ी शामिल है। कयाकिंग-कैनोइंग में इस साल पांच ने नेशनल में भाग लिया।

जबकि एथलेटिक्स में 10 खिलाड़ी उतरे। इसमें पदम कुमार ने छत्तीसगढ़ को गोल्ड मेडल दिलाया। हॉकी में 6 और स्कूल गेम्स के नेशनल चैंपियनशिप में 11 खिलाड़ी ने दमखम दिखाया। 54 हॉकी खिलाड़ी स्टेट चैंपियनशिप, 72 खिलाड़ी एथलेटिक्स में, 20 खिलाड़ी कयाकिंग-कैनोइंग में।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsaap