भारतीय कंपनियों की बनाई कफ सिरप पीने से गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में दर्जनों बच्चों की मौत की शिकायतें पिछले कुछ महीनों में आई थीं।
ऐसे मामले फिर ना दोहराए जा सकें, इसके लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब भारत में बनी कफ सिरप का एक्सपोर्ट करने से पहले उनका सरकारी लैब्स में परीक्षण किया जाएगा।
इन्हें सही पाए जाने के बाद सर्टिफिकेट मिलेगा और उसके आधार पर ही एक्सपोर्ट को मंजूरी दी जाएगी।
कफ सिरपों की टेस्टिंग का यह नियम 1 जून से ही लागू होने वाला है। बीते साल गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में दर्जनों बच्चों की भारत में बनी कफ सिरप से मौतों की शिकायत आई थी।
इसे लेकर सरकार नीति बनाने पर विचार कर ही रही थी और उसी के तहत यह फैसला लिया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी भारत में बनी कफ सिरपों की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए थे।
विदेश व्यापार महानिदेशक की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है, ‘कफ सिरपों का एक्सपोर्ट तभी मंजूर किया जाए, जब उनकी टेस्टिंग सरकारी लैब में करा ली जाएगी।
टेस्टिंग के बाद एक सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। यह नियम 1 जून, 2023 से ही लागू किया जाएगा।’
कफ सिरपों की टेस्टिंग केंद्र सरकार की लैब्स में ही होगी। इनमें चंडीगढ़, कोलकाता, चेन्नै, हैदराबाद, मुंबई, गुवाहाटी में स्थित लैब शामिल हैं।
बीते साल सामने आईं घटनाओं के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत की एक कंपनी द्वारा बनाई कफ सिरपों को लेकर कहा था कि इनके इस्तेमाल में एथलिन ग्लाइकोल और डाइथिलिन ग्लाइकोल का इस्तेमाल किया गया है।
इन्हें कार के ब्रेक फ्लुइड में लगाया जाता है। वैश्विक संस्था का कहना था कि इसके चलते भी कफ सिरप जानलेवा हो सकती है।
भारत ने 17 अरब डॉलर से ज्यादा की कफ सिरप विदेश भेजीं
यही नहीं फरवरी में ही तमिलनाडु की कंपनी ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने अपनी सारी आई ड्रॉप्स को वापस ले लिया था, जिसे एक्सपोर्ट के लिए तैयार किया था।
बता दें कि भारत दुनिया में बड़े पैमाने पर दवाइयों का निर्यात करता है। खासतौर पर खांसी की सिरप की ही बात करें तो बीते वित्त वर्ष में 17.6 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था। इससे पहले 2021-22 में यह एक्सपोर्ट 17 अरब डॉलर का ही था।