दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र और अरविंद केजरीवाल के बीच छिड़ी सियासी जंग अभी थमती नजर नहीं आ रही है।
एलजी ऑफिस के अधिकारियों ने शनिवार को यह दावा किया कि दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में तैनात आठ अफसरों ने अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा ‘घोर उत्पीड़न’ करने का आरोप लगाया है।
एलजी ऑफिस के अधिकारियों ने कहा कि इस साल की शुरुआत में दो शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जबकि छह शिकायतें 11 मई के बाद प्राप्त हुईं है।
बता दें कि, 11 मई को ही सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस, भूमि और सार्वजनिक व्यवस्था को छोड़कर सेवा मामलों का नियंत्रण दिल्ली की निर्वाचित सरकार को दे दिया था।
इन अफसरों ने की है शिकायत
अधिकारियों के अनुसार ‘आप’ सरकार के खिलाफ शिकायत करने वालों में पांच आईएएस अधिकारी भी शामिल हैं। ये अधिकारी मुख्य सचिव नरेश कुमार, पूर्व सेवा सचिव आशीष मोरे, विशेष सचिव किन्नी सिंह और वाईवीवीजे राजशेखर और ऊर्जा सचिव शूरबीर सिंह हैं।
इनके अलावा IPS अधिकारी और एंटी करप्शन ब्रांच के हेड मधुर वर्मा, IRS अधिकारी और एमसीडी के हाउस टैक्स डिपार्टमेंट में चीफ एसेसर और कलेक्टर कुणाल कश्यप और सेवा विभाग में एडहॉक दानिक्स अधिकारी अमिताभ जोशी ने भी शिकायतकर्ताओं में शामिल हैं।
अधिकारियों द्वारा लगाए गए उत्पीड़न के आरोप पर दिल्ली सरकार या सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।
दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि अगर कोई शिकायत है तो उसे देखने के बाद ही आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया दी जा सकती है। वहीं, उत्पीड़न का आरोप लगाने वाले अधिकारियों की ओर से भी फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
पंजाब में भी परिवारों को निशाना बनाने का आरोप
पंजाब के रहने वाले मधुर वर्मा और शूरबीर सिंह ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि उनके गृह राज्य में उनके परिवारों को निशाना बनाया जा रहा है।
अधिकारियों ने कहा कि शूरबीर सिंह ने एलजी ऑफिस को सूचित किया है कि उन्होंने अपने परिवार के उत्पीड़न के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
बता दें कि, पंजाब में ‘आप’ सत्ता में है और राज्य के अधिकारियों की शिकायतों पर उसकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
कब से बढ़ा विवाद?
दिल्ली में नौकरशाहों और ‘आप’ सरकार के बीच विवाद तब से बढ़ रहा है, जब से सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग सहित सेवाओं के मामलों में दिल्ली सरकार को कार्यकारी शक्तियां प्रदान की हैं। शीर्ष अदालत के आदेश के चंद घंटों बाद ही दिल्ली सरकार ने आईएएस अफसर आशीष मोरे को सेवा सचिव के पद से हटा दिया था।
दिल्ली में सेवा विभाग के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी शुक्रवार को आरोप लगाया था कि मुख्य सचिव (सीएस) नरेश कुमार ने 16 मई को उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी। हालांकि, नरेश कुमार ने एलजी को लिखे एक पत्र में दावा किया कि सेवा विभाग के अधिकारियों के साथ अपने कथित कदाचार से खुद को बचाने के लिए सौरभ भारद्वाज ने यह आरोप लगाया था।
इस घटना का विवरण साझा करते हुए एलजी ऑफिस के एक अधिकारी ने कहा कि 16 मई को भारद्वाज ने मुख्य सचिव को रात में सिविल सेवा बोर्ड (सीएसबी) की बैठक निर्धारित करने के लिए ऑफिस टाइम के बाद दिल्ली सचिवालय में अपने रूम में बुलाया था।
अधिकारी ने कहा, “मंत्री के बार-बार बुलावे के कारण मुख्य सचिव फिर सचिवालय पहुंचे और उनसे मुलाकात की. सीएस ने मंत्री को सूचित किया कि सीएसबी की प्रक्रिया में बदलाव के लिए मंत्री के निर्देशों के संबंध में 16 मई की सुबह सीएसबी की बैठक हुई और सीएसबी की सिफारिशें मंत्री के पास लंबित थीं।”
अधिकारी ने कहा, “इस फाइल को भारद्वाज ने पास किया और 16 मई को रात 9:55 बजे वॉट्सऐप के माध्यम से नोटिंग भेजी गई और फिजिकल फाइल 16 मई को रात 10:23 बजे के आसपास मुख्य सचिव के आधिकारिक आवास पर भेज दी गई। 19 मई को भारद्वाज ने झूठा आरोप लगाया कि सीएस ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी है।”
अधिकारी ने कहा कि सेवा मंत्री भारद्वाज ने 16 मई को सेवा विभाग के अधिकारियों के साथ उनके द्वारा किए गए कदाचार से खुद को बचाने के लिए जवाबी शिकायत करने के लिए ऐसा किया गया है।
उपराज्यपाल को की गई एक शिकायत में पूर्व सेवा सचिव आशीष मोरे ने 16 मई को शिकायत की कि भारद्वाज ने कुछ फाइलों को लेकर अपने कार्यालय में 2014 बैच के आईएएस अधिकारी और सेवा विभाग में विशेष सचिव किन्नी सिंह के साथ उन्हें धमकाया और बंधक बना लिया था।
मोरे ने आरोप लगाया कि मंत्री ने उन्हें एक कागज पर साइन करने के लिए उन्हें मजबूर किया और जब उन्होंने ऐसा नहीं किया तो भारद्वाज ने उन्हें यह कहते हुए गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी कि उनका करियर पूरी तरह से बर्बाद कर दिया जाएगा।
अपनी शिकायत में मोरे ने यह भी दावा किया कि सेवा विभाग के एक अन्य अधिकारी जोशी के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया और भारद्वाज ने उन्हें एक कागज पर हस्ताक्षर करने के लिए भी मजबूर किया। मोरे ने एलजी के जरिए मंत्री के खिलाफ सीएस और केंद्रीय गृह मंत्रालय से शिकायत की थी।
वहीं, दिल्ली आबकारी घोटाला और मुख्यमंत्री के सरकारी बंगले के रेनोवेशन पर किए गए खर्च और अन्य कथित अनियमितताओं की जांच कर रहे विशेष सचिव सतर्कता राजशेखर को भी भारद्वाज द्वारा जारी एक आदेश के माध्यम से उनके प्रभार से हटा दिया गया था।