सिद्धारमैया एक बार फिर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। वहीं, डिप्टी सीएम के तौर पीसीसी चीफ डीके शिवकुमार भी सरकार में उनके सहयोगी होंगे।
सिद्दारमैया कर्नाटक के पहले मुख्यमंत्री रहे हैं, जिन्होंने 40 वर्षों में पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। साथ ही कर्नाटक राज्य के इतिहास में ऐसा करने वाले दूसरे मुख्यमंत्री भी हैं।
आजादी के बाद 1952 से अस्तित्व में आए कर्नाटक राज्य को अभी तक 31 मुख्यमंत्री मिल चुके हैं। शनिवार को सिद्दारमैया 32 वें मुख्यममत्री के रूप में शपथ लेंगे।
चलिए, जानते हैं कर्नाटक के इतिहास में सबसे अधिक समय तक किसने मुख्यमंत्री के तौर पर शासन किया और अभी तक मुख्यमंत्रियों के नाम अनोखे रिकॉर्ड।
कर्नाटक में भगवा किले को ध्वस्त कर कांग्रेस कर्नाटक में एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है। सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार की जोड़ी प्रदेश में बतौर सीएम और डिप्टी सीएम के तौर कमान संभालेगी।
कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के हीरो भले ही डीके शिवकुमार रहे हों लेकिन, मुख्यमंत्री की गद्दी हासिल करने वाले सिद्दारमैया बाजीगर निकले।
मुख्यमंत्रियों के नाम अनोखे रिकॉर्ड
कर्नाटक राज्य के इतिहास में सबसे अधिक समय तक शासन करने वाले देवराज उर्स रहे। राज्य के नौंवे मुख्यमंत्री के रूप में उर्स ने कुल 2790 दिनों तक बतौर मुख्यमंत्री राज्य की कमान संभाली।
उनके बाद ऐसा करने वाले कांग्रेस के ही एस निजलिंगप्पा थे, उन्होंने अपने दो कार्यकाल में 2729 दिनों तक सेवा की। वह कर्नाटक के चौथे और सातवें मुख्यमंत्री रहे।
सिद्दारमैया
निजलिंगप्पा पहली बार 1956 में मुख्यमंत्री बने और उन्होंने दो साल से भी कम समय तक राज्य की सेवा की। वह 1962 में फिर से चुने गए और लगभग छह वर्षों तक सेवा की।
रामकृष्ण हेगड़े राज्य में सबसे लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्रियों की सूची में तीसरे स्थान पर हैं। उन्होंने 1,967 दिनों तक सेवा की। चौथे नंबर पर मनोनीत नए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया हैं। सिद्दारमैया पिछले 40 वर्षों में पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले राज्य के पहले मुख्यमंत्री हैं।
इसके अलावा देवराज उर्स के बाद दक्षिणी भारतीय राज्य के इतिहास में ऐसा करने वाले दूसरे मुख्यमंत्री भी।
मई 2013 में, सिद्धारमैया कर्नाटक के 28वें मुख्यमंत्री बने और 15 मई 2018 को उनका कार्यकाल समाप्त हुआ। उन्होंने क्रमशः जनता दल और जनता दल (सेक्युलर) के नेतृत्व वाली पिछली दो सरकारों में उपमुख्यमंत्री के रूप में भी काम किया है।
1-1 साल तक शासन करने वाले नौ मुख्यमंत्री
कर्नाटक राज्य में नौ ऐसे मुख्यमंत्री रहे हैं जिन्होंने एक साल से भी कम समय तक दक्षिणी राज्य की सेवा की। उनमें से कदीदल मंजप्पा ने सबसे कम दिनों तक सेवा की।
इन्होंने 19 अगस्त, 1956 को शपथ ली और केवल 73 दिनों के लिए मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। कर्नाटक के आधे से अधिक मुख्यमंत्रियों ने दो साल से कम समय तक सेवा की है।
6 बार राष्ट्रपति शासन
कर्नाटक राज्य में छह बार राष्ट्रपति शासन भी लगा है। पहला 19 मार्च, 1971 को वीरेंद्र पाटिल के इस्तीफे के बाद लागू हुआ। यह लगभग एक वर्ष तक रहा और राज्य में राष्ट्रपति शासन की सबसे लंबी अवधि थी।
पिछला राष्ट्रपति शासन कर्नाटक में नवंबर 2007 में लगभग छह महीने के लिए लागू हुआ था। 1947 से राज्य में मुख्यमंत्रियों के रोस्टर में से नौ लिंगायत समुदाय के हैं। सात वोक्कालिगा रहे हैं।
गौरतलब है कि सिद्धारमैया 20 मई को बेंगलुरु में कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। उनके शपथ ग्रहण में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के अलावा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की महबूबा मुफ्ती, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी डी राजा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कथित तौर पर उपस्थित रहेंगे।