सैयद जावेद हुसैन – सह संपादक (छत्तीसगढ़):
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धमतरी- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जिले के आखरी भेंट मुलाकात कार्यक्रम ने जिला प्रशासन द्वारा की गईं व्यवस्थाओं की पोल खोल के रख दी है।
मालूम हो कि बुधवार को मुख्यमंत्री भेंट मुलाकात कार्यक्रम धमतरी विकासखंड के ग्राम भटगांव में आयोजित किया गया, जो जिले का तीसरा और आखरी भेंट मुलाकात कार्यक्रम था, जबकि इससे पहले नगरी व कुरूद विकासखंड में भी ऐसे आयोजन सफलतापूर्वक हो चुके हैं।
लेकिन ग्राम भटगांव में आयोजित भेंट मुलाकात कार्यक्रम में जिला प्रशासन की व्यवस्थाओं ने आम जनता ही नही बल्कि जिले के शीर्ष नेताओं को भी प्रभावित किया।
आपको बता दें कि कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीणों समेत जिले व अन्य जिलों से विभिन्न नेतागण भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने हाजिर हुए थे, तभी मुख्यमंत्री के आगमन के पहले ही जिले के शीर्ष कांग्रेसी नेता जिनमे महापौर विजय देवांगन, निःशक्तजन आयोग अध्यक्ष मोहन लालवानी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष निशु चंद्राकर, जिला पंचायत अध्यक्ष कांति सोनवानी, समेत अन्य कांग्रेसियों को बैठने के लिए कुर्सी तक नसीब नही हुई, कुछ देर तक सभी किसी तरह कुछ ही कुर्सियों में बैठने की कोशिश किए लेकिन दिक्कत होने पर महापौर विजय देवांगन, मोहन लालवनी, निशु चंद्राकर समेत कुछ नेतागण मौके से अन्यत्र जाकर कूलर के सामने खड़े हो गए, इन सभी नेताओं के व्यवहार से स्पष्ट था कि वे जिला प्रशासन की व्यवस्थाओं से संतुष्ट नहीं हुए।
वही बहुत से जनप्रतिनिधि एक कुर्सी में 2-2 लोग होकर भी बैठे रहे, तो कुछ ने 1-2 कुर्सियों का जुगाड़ मीडिया वाले घेरे से किया, शायद उन्हें सामने बैठकर मुख्यमंत्री को अपना चेहरा दिखाने की ललक रही हो!
वैसे महापौर, निःशक्तजन आयोग अध्यक्ष व जिला पंचायत अध्यक्ष का स्थान मंच में आरक्षित था, जहां मुख्यमंत्री के आगमन पश्चात उन्हें स्थान दिया गया।
वहीं कार्यक्रम पश्चात विभिन्न जनप्रतिनिधि, पत्रकारों व आम जनता के लिए भोजन की भी व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की गई थी, वहां भी भारी अव्यवस्था नजर आई।
आपको बता दें कि आम जनता, जनप्रतिनिधि व पत्रकारों के लिए अलग अलग भोजन की व्यवस्था की गई थी, जहां कमरों में न पंखे चल रहे थे और न बैठने की उचित व्यवस्था थी, इतना ही नहीं भोजन परोसने व सप्लाई करने के लिए भी कोई मौजूद नही था।
जबकि इस कार्यक्रम के लिए जिला प्रशासन ने अपने पूरे प्रशासनिक अमले को कई दिनों पहले से अलग अलग जिम्मेदारियां सौंप रखीं थीं, बावजूद इसके इस तरह की कोताही होना कई सवाल खड़े करती है।