कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद अब मुख्यमंत्री पद किसे मिलेगी, इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए कांग्रेस ने आज शाम अपने नए विधायकों की बैठक बुलाई है।
इस बैठक की जानकारी खुद कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार ने दी है। उन्होंने कहा कि शाम 6 बजे बेंगलुरु के शांगरी-ला होटल में यह बैठक होगी।
इसमें कांग्रेस विधायक दल द्वारा एक प्रस्ताव पारित करने की उम्मीद है, जिसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को मुख्यमंत्री चुनने के लिए अधिकृत किया जाएगा।
मल्लिकार्जुन खड़गे या सोनिया गांधी के लिए यह चुनाव करना आसान नहीं होगा, डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कई मौकों पर सीएम पद के लिए अपनी महत्वाकांक्षा व्यक्त कर चुके हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कल शाम दोनों शीर्ष नेताओं के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए यह जीत कर्नाटक के लोगों को समर्पित की।
साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी घोषणापत्र में किए वादों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। वह आज दोपहर बेंगलुरू से दिल्ली वापस आ रहे हैं।
कांग्रेस की यह जीत कई मायनों में खास है। 2018 की तुलना में पार्टी ने 57 अधिक यानी 137 सीटें जीती हैं। इस चुनाव में 42.9 प्रतिशत वोट उसे मिले हैं।
कांग्रेस ने ऐसा प्रदर्शन 1999 में किया था। उसने 132 सीटें जीती थीं और उसका वोट शेयर 40.84 प्रतिशत था। 1989 में कांग्रेस ने 43.76 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 178 सीटें जीतीं। सिद्धारमैया ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी 120 से अधिक सीटों की उम्मीद कर रही है।
अंदरूनी कलह की सुगबुगाहट ने कल उस समय जोर पकड़ लिया, जब डीके शिवकुमार ने कल सिद्धारमैया के बेटे की एक टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि सीएम कौन बनेगा यह हाईकमान तय करेगा। आपको बता दें कि सिद्धारमैया के बेटे ने अपने पिता की सीएम बनाने की मांग रुझान सामने आते ही कर दी थी।
शिवकुमार कल गांधी परिवार से किए गए वादे को पूरा करने की बात कहते हुए रो पड़े। उन्होंने यह भी कहा कि जब से उन्होंने वादा किया है, वह तीन साल से सोए नहीं हैं।
उन्होंने कहा, “मैंने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को आश्वासन दिया कि मैं कर्नाटक को बचा लूंगा। सोनिया गांधी का जेल में मुझसे मिलने आना मैं नहीं भूल सकता।” मुख्यमंत्री कौन होगा? इस सवाल पर उन्होंने कहा, “कांग्रेस कार्यालय हमारा मंदिर है। हम अपना अगला कदम कांग्रेस कार्यालय में तय करेंगे।”
आपको बता दें कि शिवकुमार शुरुआती दिनों से ही कांग्रेस की राजनीति की है। 1989 में उन्होंने अपना पहला चुनाव जीता था। इसके बाद उन्होंने कभी भी हार का सामना नहीं किया। आज सुबह उनके समर्थकों ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग के साथ पोस्टर भी लगाए हैं।
वहीं, 75 वर्षीय सिद्धारमैया ने बार-बार कहा है कि यह उनकी आखिरी चुनावी लड़ाई है। उन्हें इस बात की उम्मीद है कि शायद कांग्रेस आलाकमान मुख्यमंत्री चुनते समय इस पर विचार करेगा।