बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व में बना चक्रवाती तूफान ‘मोचा’ बहुत तेज हो गया है। शुक्रवार सुबह लगभग 165 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली।
अब इसके कॉक्स बाजार (बांग्लादेश) और क्यौकप्यू (म्यांमार) के बीच सितवे (म्यांमार) के करीब दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश और उत्तरी म्यांमार के तटों को पार करने की उम्मीद है।
चक्रवात मोचा के चलते पूर्वोत्तर राज्यों में प्रचंड गर्मी पड़ सकती है, लू का भी खतरा है। भीषण गर्मी के खतरे के बीच आईएमडी का कहना है कि 13 और 14 मई को कुछ राज्यों में मूसलाधार बारिश भी हो सकती है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने चेतावनी दी है कि 14 मई 2023 की दोपहर 150-160 किमी प्रति घंटे की अधिकतम निरंतर हवा की गति के साथ 175 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से मोचा गंभीर चक्रवाती तूफान के रूप में बदल सकता है।
मोचा तूफान के चलते पूर्वोत्तर भारत में प्रचंड गर्मी की उम्मीद है। इससे पहले बुधवार को नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और गंगीय पश्चिम बंगाल के कई स्थानों पर अधिकतम तापमान पहले से ही सामान्य (5.1 डिग्री सेल्सियस या अधिक) से अधिक था।
इन राज्यों में हीटवेव
मौसम विभाग ने 11 मई तक गुजरात, मध्य महाराष्ट्र, बिहार और पश्चिम बंगाल में, कोंकण में 10 से 12 मई तक, राजस्थान में 12 और 13 मई को और तटीय आंध्र प्रदेश और यनम में 13 से 15 मई के दौरान हीट वेव की चेतावनी दी है।
वहीं, अगले 3 दिनों के दौरान कोंकण में मौसम ऐसा ही बने रहने की संभावना है। जबकि अगले 5 दिनों के दौरान ओडिशा में और 13 और 14 मई को केरल और तमिलनाडु में भीषण गर्मी पड़ सकती है।
इन राज्यों में बारिश के आसार
आईएमडी का कहना है कि बंगाल की खाड़ी की दिशा में पूरे पूर्वी भारत में शुष्क हवाएं चल रही हैं। ये हवाएं बंगाल की खाड़ी के ऊपर चक्रवात मोचा की दिशा में बढ़ रही हैं। 13 और 14 मई को पूर्वोत्तर राज्यों में बारिश और तेज हवाओं की उम्मीद हैं।
आईएमडी के महानिदेशक एम महापात्र ने कहा कि मोचा के हालांकि मॉनसून की शुरुआत को प्रभावित करने की संभावना नहीं है, जो आम तौर पर 1 जून के आसपास केरल पहुंचता है।
इसकी संभावना बेहद कम है कि चक्रवात मोचा का गंभीर रूप मॉनसून की शुरुआत को प्रभावित करेगा।”
किसानों को चेतावनी
मिजोरम, त्रिपुरा और दक्षिण मणिपुर के लिए आईएमडी ने चेताया है कि चक्रवाती तूफान मोचा के भयावह रूप से मामूली क्षति होने की संभावना है।
छोटे पेड़ों के उखड़ने की संभावना है। संवेदनशील क्षेत्रों में भूस्खलन की संभावना है।
किसानों को सलाह है कि छोटे पेड़ों जैसे केला, ड्रमस्टिक और पपीता आदि को नुकसान से बचाने के लिए किसान तुरंत परिपक्व फलों और फसलों की कटाई करें ताकि नुकसान की संभावना कम रहे।