हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह में रंभा तीज मनाई जाती है।
इस दिन मान्यतानुसार कुंवारी कन्याएं और सुहागिन महिलाएं दोनों ही व्रत रखती हैं।
कुंवारी लड़कियां रंभा तीज का व्रत (Rambha Teej Vrat) अच्छे वर की चाह में करती हैं और सुहागिन महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं।
रंभा तीज का व्रत इस साल 22 मई सोमवार के दिन रखा जाना है। जानिए इस व्रत को रखने का महत्व और इसकी पूजा विधि।
रंभा तीज की पूजा
पौराणिक कथाओं के अनुसार रंभा तीज का नाम स्वर्ग की सबसे खूबसूरत कही जाने वाली अप्सरा रंभा के नाम पर पड़ा है। माना जाता है कि रंभा स्वर्गलोक की सबसे सुंदर अप्सरा थीं और उनकी उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी।
रंभा तीज के दिन रंभा देवी (Rambha Devi) की पूजा की जाती है। माना जाता है कि जब देवताओं और असुरों के बीच लड़ाई हुई थी तो समुद्र मंथन हुआ था और उसमें से कुल 14 रत्न निकले थे। कहते हैं इन्हीं रत्नों में से एक थीं रंभा। इसके पश्चात रंभा को देवलोक में स्थान मिला था।
रंभा देवी ने देवलोक की शोभ बढ़ा दी थी और सभी उन्हीं की बातें किया करते थे। माना जाता है कि वे रंभा ही थीं जिन्होंने रावण को श्राप दिया था।
रंभा तीज के दिन सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। इस दिन सूर्य देव के लिए दीपक प्रज्जवलित किया जाता है। इसके पश्चात महिलाएं मां लक्ष्मी (Ma Lakshmi) की पूजा करती हैं और पूजा में गेंहू, अनाज और फूल शामिल करती हैं।
मां लक्ष्मी और माता सीता को प्रसन्न करने के लिए पूरे मनोभाव से पूजा की जाती है। अप्सरा रंभा देवी को इस दिन विशेषकर पूजा जाता है।
रंभा तीज के दिन मां पार्वती और भगवान शिव का पूजन भी किया जाता है।
रंभा देवी की पूजा में उनपर फूल और चंदन अर्पित किए जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि, पति की लंबी आयु या फिर अच्छे वर की कामना कर वरदान मांगा जाता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। वार्ता 24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।)