सीनियर लीडर शरद पवार की बेटी और बारामती सांसद सुप्रिया सुले एनसीपी की कमान संभालने से इनकार कर रही हैं।
पिता पवार ने यह दावा किया है। हालांकि, पवार यह संकेत भी दे रहे हैं कि भविष्य में सुले को ही पार्टी का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
खास बात है कि वरिष्ठ नेता के इस्तीफे के ऐलान से महाराष्ट्र की राजनीति में उठा पटक तेज हो गई थी। उनके उत्तराधिकारी को लेकर चर्चाएं चल रहीं थीं। माना जा रहा था कि इस रेस में सुले के नाम काफी आगे था।
पहले दावेदार समझें
सीनियर पवार ने इस्तीफे का ऐलान ऐसे समय पर किया था, जब उनके भतीजे अजित पवार और भारतीय जनता पार्टी के बीच तालमेल की अटकलें थीं। अब अजित को एनसीपी में दूसरे नंबर का नेता माना जाता है।
ऐसे में पार्टी अध्यक्ष के पद को लेकर उनकी दावेदारी काफी मजबूत थी।
परिवार के सदस्य सुले और अजित के अलावा जयंत पाटिल और प्रफुल्ल पटेल जैसे बड़े नेता भी दौड़ में शामिल नजर आ रहे थे। हालांकि, पटेल ने इस रेस में शामिल होने से इनकार कर दिया था।
सुप्रिया की दावेदारी मजबूत क्यों
अगर पवार परिवार की बात करें, तो अजित के मुकाबले सुप्रिया की दावेदारी ज्यादा मजबूत नजर आती है।
एक मीडिया रिपोर्ट में सीनियर पवार के करीबी और पूर्व मंत्री के हवाले से बताया गया, ‘उनका बड़ी चिंता पार्टी को एकजुट रखने की थी और ऐसे में वह कभी भी अजित को नेतृत्व नहीं सौपेंगे, क्योंकि वह जानते हैं कि इससे वरिष्ठ नेता अस्थिर हो जाएंगे।’
उन्होंने कहा, ‘जो मंत्री तीन दशकों से पवार के साथ काम कर रहे हैं, उन्होंने हमेशा अजित पर नियंत्रण के लिए सुले को बिंदु बनाया है।’
पूर्व मंत्री के अनुसार, सुप्रिया को नए पार्टी अध्यक्ष और अगर एनसीपी उस स्थिति में रही तो सीएम पद के लिए भी आगे बढ़ाया जा सकता है।
कहा जाता है कि महाविकास अघाड़ी में अजित के विपरीत शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और कांग्रेस में सुप्रिया को ज्यादा स्वीकार करते हैं। कहा जाता है कि अजित से मोहभंग की वजह भाजपा की प्रति उनका झुकाव है।
एनसीपी के बाहर भी जरूरी
खास बात है कि भाजपा के खिलाफ 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता की कोशिशें जारी हैं। ऐसे में माना जाता है कि सीनियर पवार की भूमिका काफी अहम हो जाती है।
अब विपक्षी दलों को जोड़ने से पहले उनका अपने ही घर को एकजुट रखना जरूरी है। इसके अलावा पुरस्कार विजेता सांसद सुप्रिया दिल्ली में एनसीपी का चेहरा हैं।