शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से भी प्रतिनिधिमंडल भारत पहुंच रहा है।
खास बात है कि इस समूह की अगुवाई पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो करने जा रहे हैं। भारत के तटीय राज्य गोवा में 4-5 मई को बैठक होने जा रही है।
हालांकि, अब तक दोनों देशों की द्विपक्षीय बैठक को लेकर साफतौर पर कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन कई मायनों में यह दौरा अहम माना जा रहा है।
क्यों अहम है बैठक
साल 2016 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के तत्कालीन सलाहकार सरताज अजीज भारत आए थे। इससे पहले तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ भारत में पीएम नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे। ऐसे में कहा जा सकता है कि बीते 7 सालों में कोई भी शीर्ष पाकिस्तानी अधिकारी भारत नहीं आया है।
हालांकि, उरी और पुलवामा की घटनाओं के बाद दोनों देशों की बीच रिश्ते लगातार तल्ख होते चले गए। साथ ही जम्मू और कशअमीर से अनुच्छेद 370 समाप्त होने पर भी पाकिस्तान नाराजगी जाहिर करता आया है। दोनों देशों ने अपने शीर्ष राजनयिकों और कॉन्सुलर स्टाफ को तो बाहर कर दिया था या वापस बुला लिया था।
भारत के प्रति बदलता रुख!
तल्ख रिश्तों के बाद भी पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और मौजूदा पीएम शहबाज शरीफ सार्वजनिक तौर पर भारत के पक्ष में बात कर चुके हैं।
एक ओर जहां खान भारत की विदेश नीति की तारीफ कर चुके हैं। वहीं, एक टीवी इंटरव्यू में शरीफ ने कहा था कि तीन युद्धों के बाद पाकिस्तान सबक सीख गया है और भारत के साथ शांति चाहता है।
बिलावल के दौरे बहुत ज्यादा उम्मीद क्यों नहीं
दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्री का भारत दौरा ऐसे समय पर हो रहा है, जब उच्चायोगों की गैरमौजूदगी में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्ते कमजोर होते जा रहे हैं।
दोनों मिशन तय अधिकारियों की आधी संख्या के साथ काम कर रहे हैं। अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद पाकिस्तान ने अपने उच्चायोग को वापस बुला लिया था।
साथ ही इस्लामाबाद ने मिशन की संख्या भी आधी कर दी थी। खास बात है कि पाकिस्तान आधिकारिक तौर पर यह चुका है कि अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को वापस लिए जाने के बाद ही दोनों देशों में बातचीत संभव हो सकेगी।
इधर, भारत लगातार पाकिस्तान से माहौल के आतंकवाद से मुक्त करने की बात दोहराता रहा है, लेकिन इस ओर पाकिस्तान ने खास कदम उठाने के संकेत नहीं दिए।