सीबीआई ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक शिकायत के आधार पर विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम के कथित उल्लंघन के लिए ऑक्सफैम इंडिया और उसके पदाधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
अधिकारियों ने बुधवार को यहां बताया कि यहां स्थित संस्था के दफ्तर पर छापेमारी भी की गई।
प्राथमिकी का अब हिस्सा बन चुकी शिकायत में आरोप लगाया गया है कि हालांकि ऑक्सफैम इंडिया का FCRA पंजीकरण समाप्त हो गया, इसके बावजूद उसने अन्य माध्यमों से धन के लेनदेन के लिये कानून का उल्लंघन किया।
इसमें आरोप लगाया गया, ‘CBDT द्वारा आईटी (आयकर) सर्वेक्षण के दौरान मिले ईमेल संचार से पता चलता है कि ऑक्सफैम इंडिया विदेशी सरकारों और विदेशी संस्थानों के माध्यम से एफसीआरए के नवीनीकरण के लिए भारत सरकार पर दबाव बनाने की योजना बना रहा है।’
आरोप के मुताबिक, ‘ऑक्सफैम इंडिया के पास बहुपक्षीय विदेशी संगठनों से भारत सरकार के साथ अपनी ओर से हस्तक्षेप करने का अनुरोध करने की पहुंच और प्रभाव है।’ इसने आरोप लगाया कि ऑक्सफैम इंडिया ने अपने विदेशी सहयोगियों जैसे ऑक्सफैम ऑस्ट्रेलिया और ऑक्सफैम ग्रेट ब्रिटेन की निधि को कुछ एनजीओ को दिया और परियोजना पर नियंत्रण किया।
शिकायत के अनुसार, ‘सीबीडीटी द्वारा आईटी सर्वेक्षण के दौरान मिले ईमेल से ऐसा प्रतीत होता है कि ऑक्सफैम इंडिया सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) को अपने सहयोगियों/कर्मचारियों के माध्यम से दलाली के रूप में धन उपलब्ध करा रहा है।
यह ऑक्सफैम इंडिया के टीडीएस डेटा से भी परिलक्षित होता है जो वित्तीय वर्ष 2019-20 में सीपीआर को 12.71 लाख रुपये का भुगतान दर्शाता है।’
इसमें कहा गया है कि संगठन ने सामाजिक गतिविधियों को करने के लिए एफसीआरए पंजीकरण प्राप्त किया था, लेकिन कमीशन के रूप में अपने सहयोगियों या कर्मचारियों के माध्यम से सीपीआर को किया गया भुगतान – पेशेवर या तकनीकी सेवाएं – इसके घोषित उद्देश्यों के अनुरूप नहीं है।
इसमें आरोप लगाया गया, ‘यह एफसीआरए 2010 की धारा आठ और 12(4) का उल्लंघन है।’ अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को दिल्ली में ऑक्सफैम इंडिया के कार्यालय में छापेमारी की।
इस महीने की शुरुआत में एक बयान में, ऑक्सफैम इंडिया ने कहा कि यह पूरी तरह से भारतीय कानूनों का अनुपालन करता है।
ऑक्सफैम इंडिया का एफसीआरए पंजीकरण दिसंबर 2021 में नवीनीकृत नहीं किया गया था। समूह ने अपने एफसीआरए पंजीकरण का नवीनीकरण नहीं करने के फैसले के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।