माफिया से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को लेकर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं।
दोनों भाइयों की मौत के बाद अब भले ही उनके आतंक का अंत हो गया हो, लेकिन उनकी क्राइम कुंडली खंगालने पर पर पता चलता है कि अतीक और अशरफ ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर भी खूब अत्याचार किए थे।
15 अप्रैल की रात प्रयागराज में एक अस्पताल परिसर के अंदर तीन युवकों द्वारा दोनों भाइयों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
उत्तर प्रदेश पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार, दोनों भाइयों का एक लंबा आपराधिक इतिहास था, जिसमें उनके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, धोखाधड़ी, धमकी देना और जमीन पर कब्जा करने जैसे सैकड़ों मुकदमे दर्ज थे।
पुलिस रिकॉर्ड में कहा गया है कि उनके द्वारा सताए गए पीड़ितों की लिस्ट लंबी काफी है और ज्यादातर मामलों में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को इनका शिकार होना पड़ा।
20 में से13 बड़े मामलों में मुसलमानों को बनाया शिकार
पुलिस के अनुसार, “दोनों के खिलाफ 20 बड़े आपराधिक मामलों में से, अहमद भाइयों ने 13 में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को ही निशाना बनाया था।
अतीक का भाई अशरफ कथित तौर पर बंदूक की नोंक पर एक मदरसे से दो नाबालिग मुस्लिम लड़कियों के अपहरण और रातभर उनके साथ बार-बार बलात्कार करने जैसे अपराध में भी शामिल था।
पीड़ितों को बाद में अगली सुबह मदरसे गेट के सामने फेंक दिया गया था।”
जमीन कब्जाने को रिश्तेदार के घर चलवाया था बुलडोजर
आगे बताया गया है कि, इस संबंध में अतीक के आतंक का जीता-जागता उदाहरण प्रयागराज के कसारी मसारी निवासी जीशान उर्फ जानू और अतीक का साला इमरान जाई का छोटा भाई है।
अतीक ने उसकी जमीन पर कब्जा करने के लिए जीशान के घर को बुलडोजर से ढहा दिया था। इसके अलावा जीशान के मुताबिक उस पर अतीक के गुंडों ने हमला किया और 5 करोड़ रुपये रंगदारी मांगने की धमकी दी।”
अतीक ने अपने करीबी पार्षद की कराई थी हत्या
अतीक अहमद पर नगर निगम के वार्ड पार्षद अशफाक कुन्नू की हत्या का भी आरोप था। अतीक पर वार्ड पार्षद नैसन को गोली मारने का भी आरोप था, जो कभी गैंगस्टर का करीबी था।
दोनों के बीच दरार तब बढ़ गई जब नैसन ने अतीक की मनमानी के खिलाफ आवाज उठानी शुरू की। पुलिस ने बताया कि वर्ष 2001 में अतीक ने चकिया में कथित तौर पर नैसन के शरीर को गोलियों से छलनी कर दिया था।
आगे बताया गया है कि अतीक ने 2003 में बीजेपी नेता अशरफ की भी कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी थी। अशरफ का घर चकिया में अतीक के घर के सामने स्थित था।
अतीक ने कहा था कि बीजेपी नेता और उसके भाई के नाम एक ही था, इसलिए उन्हें विपक्षी पार्टी के लिए काम करने की बात कहकर चिढ़ाया जाता था।
इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि बीजेपी नेता अशरफ की हत्या करने के बाद अतीक के गुर्गे उसकी लाश लेकर भाग गए थे।
ऐसे हुआ दोनों भाइयों का अंत
गौरतलब है कि गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के एक अस्पताल के बाहर गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी।
यह हत्याकांड वहां मौजूद मीडिया के कैमरों में कैद हो गया था। सूत्रों ने सोमवार को बताया कि अतीक को कम से कम आठ गोलियां मारी गई थी, उसके सिर, गर्दन और सीने में गोली के निशान पाए गए थे।
वहीं, अशरफ के शरीर में तीन गोलियां लगी थीं। पॉइंट ब्लैंक रेंज से गोली लगने के बाद दोनों की मौके पर ही मौत हो गई थी।
अतीक और अशरफ दोनों को 16 अप्रैल को प्रयागराज के कसारी मसारी कब्रिस्तान में दफनाया गया था। शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, अशरफ को उनकी गर्दन, पीठ और कमर में गोली मारी गई थी, जिसमें गोलियां उनके शरीर को छेदती हुई निकल गईं। सूत्रों ने बताया कि पुलिस डिटेल पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।
इस बीच, उत्तर प्रदेश सरकार ने दोनों हत्याओं की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और न्यायिक जांच के निर्देश दिए हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस अधिकारियों ने सनसनीखेज हत्याओं की जांच के लिए दो विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की घोषणा की है।