आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कर्नाटक में भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान में शामिल करने की भारी मांग है।
भाजपा की राज्य इकाई चाहती है कि मुख्यमंत्री योगी कर्नाटक में होने वाली सार्वजनिक रैलियों में अलग-अलग उम्मीदवारों के साथ मंच साझा करें।
सीएम योगी के हिट स्लोगन ‘इस माफिया को मिट्टी में मिला दूंगा’ के बाद, असद अहमद के पुलिस एनकाउंटर से यह मांग और बढ़ सकती है।
News18 को पता चला है कि बीजेपी राज्य इकाई ने कई रैलियों और रोड शो के लिए योगी आदित्यनाथ से कम से कम कर्नाटक की 6 यात्राओं का अनुरोध किया है।
बेंगलुरु में एक बीजेपी नेता ने कहा, ‘कई उम्मीदवार चाहते हैं कि यूपी के सीएम की रैलियां उनके निर्वाचन क्षेत्रों में हों, खासकर तटीय कर्नाटक में, जहां हिंदुत्व एक प्रमुख मुद्दा है।’
हालांकि, सीएम योगी अप्रैल के अंतिम सप्ताह से राज्य में लगभग एक दर्जन रैलियों और रोड शो के लिए कर्नाटक की लगभग 4 यात्राएं कर सकते हैं।
योगी आदित्यनाथ कर्नाटक में बीजेपी के लिए बन सकते हैं एक बड़ा फैक्टर
सूत्रों ने कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ 4 और 11 मई को उत्तर प्रदेश में होने वाले दो चरणों के शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में भी व्यस्त रहेंगे।
भाजपा सूत्रों की राय में असद अहमद एनकाउंटर मामला योगी आदित्यनाथ को कर्नाटक में बीजेपी के लिए एक बड़ा फैक्टर बना सकता है, जहां पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ कार्रवाई जैसे मुद्दे तटीय कर्नाटक क्षेत्र में महत्वपूर्ण रहे हैं।
गैंगस्टरों और अपराधियों के प्रति यूपी के मुख्यमंत्री का सख्त रुख कर्नाटक में उनके चुनावी भाषणों में जगह बना सकता है। भाजपा को लगता है कि उनकी जनसभाओं का अच्छी प्रभावकारिकता होगी।
हिमंत बिस्व सरमा और के शिवराज सिंह चौहान भी कर्नाटक में करेंगे प्रचार
एक और बीजेपी सीएम जो कर्नाटक में बड़े पैमाने पर प्रचार कर सकते हैं, वह हिमंत बिस्वा सरमा होंगे। भगवा पार्टी के ओबीसी चेहरा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कर्नाटक में रैलियां करेंगे।
योगी आदित्यनाथ बीते कई वर्षों से अन्य राज्यों में भी भाजपा के लिए एक सफल स्टार प्रचारक रहे हैं। गुजरात, त्रिपुरा, उत्तराखंड और दक्षिणी राज्यों में भी चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर भाजपा चुनाव प्रचार में उनका इस्तेमाल करती है।
यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके प्रशासन के तरीके ने लोगों का बड़े पैमाने पर ध्यान खींचा है और इसीलिए दूसरे राज्यों के चुनावों में उनकी जनसभाओं की डिमांड काफी बढ़ी है।