केंद्रीय गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs-MHA) ने जेलों में कैदियों की भीड़भाड़ कम करने के लिए एक कदम उठाते हुए उन गरीब लोगों को आर्थिक मदद देने के लिए एक विशेष योजना शुरू करने का फैसला किया है, जो केवल जुर्माना या जमानत देने में असमर्थ होने के कारण जेलों में बंद हैं।
गृह मंत्रालय ने को कहा कि इससे गरीब कैदी जेल से बाहर निकल सकेंगे। इनमें से ज्यादातर सामाजिक रूप से वंचित या कम शिक्षा और कम आमदनी वाले हाशिए के समूहों से आते हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार के बजट में गरीब कैदियों के लिए मदद के लिए विशेष प्रबंध करने का ऐलान किया था।
गृह मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में गृह मंत्रालय समय-समय पर जेलों में विचाराधीन कैदियों के मुद्दे को हल करने के लिए कई कदम उठा रहा है।
इनमें दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 436ए को शामिल करना, सीआरपीसी में एक नया अध्याय XXIA ‘प्ली बार्गेनिंग’ (Plea Bargaining) को शामिल करना भी शामिल है।
गृह मंत्रालय ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर कानूनी सेवा प्राधिकरण (Legal Services Authority) के जरिये गरीब कैदियों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जा रही है।
गृह मंत्रालय ने कहा कि इस योजना की व्यापक रूपरेखा को सभी संबंधित हितधारकों के परामर्श से अंतिम रूप दिया गया है। इस योजना के तहत भारत सरकार उन गरीब कैदियों को राहत देने के लिए राज्यों को आर्थिक मदद करेगी, जो गरीबी के कारण जुर्माना नहीं भरने के कारण जमानत लेने या जेलों से रिहा होने में असमर्थ हैं।
गृह मंत्रालय ने कहा कि यह सुनिश्चित करना है कि बजट का लाभ समाज के सभी कमजोर वर्गों तक पहुंचाया जाए। गरीब कैदियों तक लाभ पहुंचना सुनिश्चित करने के लिए इस प्रक्रिया को और मजबूत करने के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी की भी मदद ली जाएगी।