रूस के साथ युद्ध के बीच अब यूक्रेन ने भारत की ओर उम्मीद से देखना शुरू कर दिया है।
इस बात की भी पुष्टि हो चुकी है कि सरकार में मंत्री एमीन झारापोवा सोमवार को भारत दौरे पर आ रही हैं।
अब उनकी इस भारत यात्रा के कई मायने निकाले जा रहे हैं। फिलहाल, आधिकारिक तौर पर एजेंडा को लेकर दोनों पक्षों की ओर से कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन माना जा रहा है कि वह भारत में यूक्रेन के लिए समर्थन और मानवीय सहायता हासिल करने की कोशिश करेंगी।
पीएम मोदी को न्योता
फरवरी 2022 में रूस ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का ऐलान कर दिया था। इसके बाद यह पहला मौका है जब यूक्रेन के मंत्री का भारत दौरा हो रहा है।
संभावनाएं जताई जा रही हैं कि वह इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कीव का न्योता दे सकती हैं। हाल ही में जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा समेत कुछ देशों के मुखिया अलग-अलग समय पर यूक्रेन पहुंचे थे। पीएम किशिदा भारत दौरे के बाद यूक्रेन के लिए रवाना हुए थे।
मानवीय सहायता
युद्ध के बाद से ही भारत की ओर से यूक्रेन को मानवीय सहायता दी जा चुकी है। अब खबर है कि यूक्रेन ने भारत से फार्मास्यूटिकल्स, मेडिकल उपकरण, ऊर्जा उपकरण समेत और सहायता देने का अनुरोध किया है।
खास बात है कि युद्ध के दौरान यूक्रेन का पावर इंफ्रास्ट्रक्चर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है। ऐसे में दौरे पर वह भारत के सामने मदद का मुद्दा उठा सकती हैं।
शांति का संदेश
अब यूक्रेन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के कद को समझता है। कहा जा रहा है कि चर्चा के दौरान झारापोवा यूक्रेन के पक्ष में भारत का झुकाव बढ़ाने की कोशिश कर सकती हैं।
दिसंबर 2022 में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की और पीएम मोदी के बीच हुई बातचीत में यूक्रेन ने कथित तौर पर भारत को ‘सुरक्षा गारंटर’ बनने के लिए कहा था।
अब संभावनाएं हैं कि मंत्री भारत से सीधे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को शांति का संदेश देने का आह्वान कर सकती हैं।
G20 का न्योता
खबर है कि यूक्रेन अब भारत की अध्यक्षता में होने जा रहे G20 शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति जेलेंस्की के लिए न्योता चाहता है। इससे पहले जेलेंस्की इंडोनेशिया में आयोजित सम्मेलन में शामिल हुए थे।
भारत में होने वाली बैठक में उन्हें न्योता अब तक नहीं दिया गया है। खास बात है कि पुतिन जुलाई में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन और इसके बाद सितंबर में G20 के लिए आमंत्रित किए गए हैं।
भारत का साथ
यात्रा के दौरान झारापोवा विदेश मंत्रालय के थिंक टैंक इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स को भी संबोधित करेंगी। खास बात है कि यूक्रेन के अधिकारियों ने बीते साल भारत की ओर से युद्ध को लेकर समर्थन नहीं मिलने पर निराशा जाहिर की थी।
वहीं, भारत संयुक्त राष्ट्र में भी रूसी आक्रमण से जुड़े सभी मतदानों से दूर रहा है। इसके अलावा रूस पर निर्भरता घटाने की अपील के बीच भारत ने रूसी तेल का आयात बढ़ा दिया है।
जुलाई 2022 मे ही जेलेंस्की ने युद्ध को लेकर अन्य देशों के मत को देखते हुए कई राजनयिकों को वापस बुला लिया था। इनमें भारत में यूक्रेन के राजदूत भी शामिल थे।
हालांकि, अब उम्मीद जताई जा रही है कि जल्दी नए राजदूत की नियुक्ति की जा सकती है।