संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में एक बार फिर रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर भारत ने वोट करने से खुद को अलग कर लिया।
यह प्रस्ताव युद्ध अपराध के खइलाफ जांच को बढ़ाने के लिए लाया गया था। इस ड्राफ्ट रेजोल्यूशन को 28 देशों ने समर्थन किया वहीं 17 देश वोटिंग से दूर रहे।
केवल दो देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ वोट डाला जिसमें चीन भी शामिल है।
वोटिंग के बाद यूएन में यूक्रेन के स्थायी प्रतिनिधि सरजेई किसलित्स्या ने ट्वीट कर कहा, हम यूएनएचआरसी के प्रतिनिधिमंडल को धन्यवाद देते हैं जिसने यूक्रने में रूस द्वारा किए जा रहे मानवाधिकार हनन का संज्ञान लिया। यूक्रेन संकट को लेकर एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय आयोग द्वारा जांच करवानी जरूरी है। केवल दो देश ही इस प्रस्ताव के खिलाफ थे।
पहले भी जब रूस के खिलाफ इस तरह का प्रस्ताव लाया गया है तो भारत ने खुद को अलग ही रखा है। पिछली बार फरवरी में यूएन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा था कि भारत यही चाहता है कि बातचीत के जरिए समाधान निकले।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुई वोटिंग से खुद को अलग क लिया था। उन्होंने कहा था कि भारत यूएन के चार्टर पर भरोसा करता है और यही चाहता है कि दोनों देश आपस में बातचीत के जरिए हल निकालें।
कंबोज ने कहा था कि भारत का रुख इस मामले में पीपल सेंट्रिक ही रहेगा। पहले भी भारत कह चुका है कि यूक्रेन को संकट के इस समय में मानवीय सहायता दी जाएगी।
तब 141 देशों ने यूक्रेन के समर्थन में वोट दिया था वहीं 32 ने खुद को वोटिंग से अलग कर लिया था। इसमें भारत और चीन भी शामिल थे।