पाकिस्तान में पड़े रोटी के लाले, 60 साल में सबसे खराब स्थिति; 20 की मौत…

फटीचर हुए पाकिस्तान में हर महीने महंगाई एक नया रिकॉर्ड कायम हो रहा है।

अब तक के सबसे बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहे पाकिस्तान में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। इस वजह से पाकिस्तान में हर महीने महंगाई में बढ़त देखने को मिल रहा है।

मार्च में पाकिस्तान की मुद्रास्फीति 35.37% पर पहुंच गई, जो 1965 के बाद से सबसे अधिक है। शहबाज शरीफ की सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के सामने भीख का कटोरा लेकर खड़ी है लेकिन उसे कर्ज नसीब नहीं हो रहा।

पाकिस्तान पहले ही कर्ज में डूबा हुआ है और अगर उसे 6.5 बिलियन डॉलर का आईएमएफ की तरफ से लोन नहीं मिला तो वहां महंगाई और बढ़ सकती है।

60 सालों का रिकॉर्ड टूटा
ऐसा बताया जा रहा है कि प्याज, चिकन, अंडे, चावल, सिगरेट और ईंधन की कीमतों में बढ़त की वजह से उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि हुई है।

पाकिस्तान में महंगाई आलम ये हैं कि यहां 60 सालों का रिकॉर्ड टूट गया। पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले सप्ताह संवेदनशील मूल्य संकेतक (एसपीआई) की तरफ से मापी गई मुद्रास्फीति की अल्पकालिक दर रिकॉर्ड 46.65% थी, जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की तरफ से दर्ज की गई मासिक मुद्रास्फीति फरवरी में 31.6% तक पहुंच गई थी।

पीबीएस के अनुसार, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कीमतों में 32.97% और 38.88% की वृद्धि हुई। पिछले कई महीनों में उपभोक्ता कीमतें तेजी से बढ़ी हैं, वार्षिक मुद्रास्फीति पिछले साल जून से 20% से ऊपर रही है।

250 रुपये दर्जन बिक रहा केला
इसके अलावा, टमाटर की कीमतों की बात करें तो यह 120 रुपये किलो मिल रहा है, जबकि फुटकर में करेला भी इतने रुपये में बिक रहा है। वहीं, तरोई की कीमत 140 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। कुछ दिनों पहले तक 350 रुपए किलो बिकने वाला कचनार अब 600 रुपए किलो बिक रहा है। पड़ोसी देश में सिर्फ सब्जियों के दाम ही आसमान नहीं छू रहे, बल्कि फलों की कीमतों में भी आग लगी हुई है। कुछ दिनों पहले तक 70 रुपये किलो बिकने वाला खरबूजा अब 250 रुपये किलो बिक रहा है। केला 100 रुपए दर्जन जिसकी कीमत थी, वह अब 250 रुपए में मिल रहा है। इसके अलावा, 50 रुपये प्रति 250 ग्राम बिकने वाली स्ट्रॉबेरी बढ़कर 150 रुपये प्रति 250 ग्राम हो गई है।

पड़ सकता है अकाल
कम विदेशी मुद्रा भंडार के कारण एक पस्त अर्थव्यवस्था और बड़े पैमाने पर बाढ़ के परिणामों से निपटने के लिए शहबाज शरीफ की सरकार लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में नाकाम रही है। पाकिस्तानी सरकार आर्थिक उथल-पुथल का खामियाजा भुगत रही है और कम से कम 20 लोग रमजान के महीने की शुरुआत के बाद से खाद्य वितरण केंद्रों पर भीड़ में मारे गए हैं। देश अपने इतिहास में सबसे खराब खाद्य संकट का सामना कर रहा है। आटा लगातार दुर्लभ होता जा रहा है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि आटे की कीमतें 3,000 पाकिस्तानी रुपये प्रति पैकेट तक पहुंच गई हैं और पाकिस्तान की सड़कों पर आटे को लेकर लड़ाई-झगड़ा आम बात है। गेहूं और आटे से लदे ट्रकों को गार्ड्स की सुरक्षा में पाकिस्तान ले जाया जाता है।

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