उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने भारत के साथ अधिक सहयोग को लेकर दिलचस्पी दिखाई है।
अमेरिका, भारत को नाटो में शामिल करना चाहता है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे के बीच नाटो में अमेरिकी राजदूत जूलियन स्मिथ ने शुक्रवार को ये बयान दिया।
US की स्थायी प्रतिनिधि जूलियन स्मिथ ने कहा कि “अगर भारत इसे आगे बढ़ाने में रुचि लेता है तो नाटो भारत के साथ और अधिक सहयोग के लिए तैयार है।”
हमारे 40 पार्टनर हैं- नाटो राजदूत
स्मिथ ने कहा, “अमेरिका और भारत के साथ-साथ इंडो पैसिफिक क्षेत्र में अन्य साझेदारों के साथ साझेदारी हमारे लिए सबसे खास है। भारत निश्चित रूप से फ्री और ओपन इंडो पैसिफिक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नाटो को समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर काम करना चाहिए।” जूलियन स्मिथ ने आगे कहा, “नाटो गठबंधन अधिक सहयोग बढ़ाने के लिए खुला है। इसके 40 पार्टनर हैं। संदेश पहले ही वापस भेजा जा चुका है। संदेश यह है कि अगर भारत इसे आगे बढ़ाने में रुचि लेता है तो नाटो संगठन भी अधिक सहयोग के लिए पूरी तरह से खुला है।”
उन्होंने कहा, “नाटो के वर्तमान में दुनिया भर में 40 अलग-अलग साझेदार हैं और प्रत्येक व्यक्तिगत साझेदारी अलग है। विभिन्न देश राजनीतिक सहयोग के विभिन्न स्तरों की तलाश में संगठन से जुड़ते हैं। कभी-कभी देश इसमें अधिक रुचि रखते हैं। हम मानकीकरण के सवालों पर काम कर रहे हैं।” हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि “हिंद-प्रशांत या एशिया-प्रशांत में हमने किसी के साथ सदस्यता को लेकर विचार नहीं किया है। गठबंधन यूरो-अटलांटिक सैन्य गठबंधन बना हुआ है। इसका दरवाजा उसी क्षेत्र के लिए खुला है। लेकिन विस्तार के लिए गठबंधन द्वारा कोई योजना नहीं है।”
भारत के आभारी हैं- अमेरिकी राजदूत
नाटो में अमेरिकी राजदूत ने आगे कहा, “हम, नाटो और अमेरिका दोनों, इस बात का स्वागत करते हैं कि भारत ने यूक्रेन के लोगों के लिए काफी कुछ किया है।
भारत ने यूक्रेन को जो मानवीय सहायता दी है उसके लिए हम बहुत आभारी हैं। यूक्रेन के लिए ये सहायता अभी महत्वपूर्ण है और जरूरतें केवल बढ़ ही रही हैं। निश्चित रूप से, हम इस बात की भी सराहना करते हैं कि भारत ने यूक्रेन में युद्ध को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया है। यह काफी महत्वपूर्ण है।”
बता दें कि नाटो एक सैन्य गठबंधन है, जिसकी स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई थी। नाटो का मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में है।
इस संगठन ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके अन्तर्गत सदस्य देश बाहरी आक्रमण की स्थिति में सहयोग करने के लिए सहमत होंगे। अब अमेरिका भारत को भी इसके साथ जोड़ने की इच्छा जता रहा है।
भारत के साथ लगातार संपर्क में- नाटो में अमेरिकी राजदूत
नाटो में अमेरिकी राजदूत जूलियन स्मिथ ने शुक्रवार को कहा, “रूस को जवाबदेह ठहराने के लिए हम साथ मिलकर और क्या कर सकते हैं, इस बारे में हम भारत के साथ लगातार संपर्क में हैं। हमने भारत से संपर्क किया है और भारत के साथ काम भी किया है। रूस द्वारा यूक्रेन के अंदर युद्ध शुरू करने के बाद से कई बार भारत से बात की गई है।”
जूलियन स्मिथ ने कहा, “अमेरिका और भारत हमेशा एक जैसा नीतिगत दृष्टिकोण साझा नहीं करते हैं, लेकिन हम नियम-आधारित व्यवस्था को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए एक प्रतिबद्धता साझा करते हैं कि प्रमुख सिद्धांत विशेष रूप से वे संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से संबंधित हैं, उन सिद्धांतों का सम्मान किया जाता है। मुझे लगता है कि यह हमारे रिश्ते का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।”
नाटो के क्या फायदे?
नाटो में शामिल होने के कई फायदे भी हैं। नाटो के जितने भी मेंबर देश हैं, वे सभी सैन्य मामलों में एक-दूसरे की मदद करते हैं।
इससे नाटो में शामिल छोटे देशों को काफी मदद मिलती है। नाटो पॉलिसी के मुताबिक किसी एक सदस्य देश पर हमला सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा।
हालांकि भारत अगर नाटो में शामिल होता है तो इसके भी कई मायने होंगे। रूस नाटो के सख्त खिलाफ है लेकिन दूसरी तरफ भारत और रूस ऐतिहासिक संबध भी साझा करते हैं।