इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वीवीपैट की अब ऑनलाइन मॉनिटरिंग होगी। यदि इसमें छेड़छाड़ होगी तो तुरंत पता चल जाएगा।
यह भी पता चल जाएगा कि वह ईवीएम किस अधिकारी के जिम्मे है, किस मतदान केंद्र में रखना है और वहां पहुंची या नहीं। मतलब यह कि चुनाव में यदि एक भी मशीन यहां से यहां से वहां हुई, तो निर्वाचन आयोग को तुरंत इसका पता चल जाएगा।
दरअसल चुनाव में अक्सर ईवीएम में छेड़छाड़ के आरोप लगते रहते हैं। इसी के मद्देनजर भारत निर्वाचन आयोग और आईआईटी भिलाई की स्टार्टअप एजेंसी फैटर्नस इनोवेशन ने मिलकर एक सिस्टम तैयार किया है। इसका नाम ईवीएम मैनेजमेंट सिस्टम 2.0 रखा गया है।
टेस्टिंग के बाद आईआईटी ने इसे निर्वाचन आयोग को सौंप दिया है। उम्मीद है कि जल्द ही आयोग इस सिस्टम को लांच करेगा। संभावना है कि लोकसभा चुनाव 2024 में पहली बार इस सिस्टम का उपयोग हो। एक खराब, तो तुरंत दूसरी मिलेगी
ईवीएम मैनेजमेंट सिस्टम 2.0 लांच होने से फायदा होगा। मतदान के दौरान मशीन खराब हो जाती है तो इसकी सूचना तुरंत ऑनलाइन मिलेगी।
कंट्रोल रूम में बैठे आयोग के अधिकारी देख सकेंगे कि मशीन कहां उपलब्ध है, जिसे तुरंत बूथ तक पहुंचाया जा सके। इससे मतदान प्रभावित नहीं होगा।
वर्तमान में मशीन खराब होती है, तो पीठासीन अधिकारी अपने ऊपर के अधिकारी को कॉल करते हैं, फिर वह अपने ऊपर के अधिकारी को बताता है। ऐसे में मशीन सुधारने या बदलने में घंटों का समय लग जाता है।
ईवीएम की कुंडली ऑनलाइन
ईवीएम मैनेजमेंट सिस्टम 2.0 एक ऐसा सिस्टम है, जिसमें देश भर में जिनते भी ईवीएम मशीन है। उन प्रत्येक मशीन की पूरी जीवन कुंडली है।
कौन सी मशीन देश के किस राज्य के किस कोने पर कहा पर रखी हुई है। किन किन अधिकारी की जिम्मेदारी में है। पिछली बार कब-कब कौन-कौन सी मशीन किस चुनाव में उपयोग की गई।
कब-कब उस मशीन में खराबी आई थी। मशीन बनने से डिस्पोज होने तक उसकी पूरी कुंडली ऑनलाइन होगी। इसे सिर्फ भारत निर्वाचन आयोग ही उपयोग कर पाएगा।
20 छात्रों की टीम ने बनाया| आईआईटी भिलाई के पहले डॉयरेक्टर प्रो.रजत मूना के निर्देश और मार्गदर्शन में 20 विद्यार्थियों की टीम ने मिलकर इस पूरे सिस्टम को तैयार किया है।
टीम लीडर शास्वत जायसवाल ने बताया कि पूरी टीम ने इस सिस्टम को तैयार करने में एक साल तक कड़ी मेहनत की है। इसका दो से तीन बार आयोग के सामने प्रजेंटेशन भी दिया जा चुका है।
आयोग ने सिस्टम को स्वीकार कर लिया है। इसे बनाने के लिए आयोग ने आईआईटी को 3.6 करोड़ रुपए का फंड दिया है।
मई में लांचिंग संभव “देश में करीब 10 लाख ईवीएम हैं, जिनका मैनेजमेंट मुश्किल है क्योंकि कौन सी ईवीएम कहां है, खराब है या कहां उपयोग होगी, इसकी जानकारी ऑनलाइन मिलेगी।
नए सिस्टम से कई गड़बड़ियां रोकी जा सकेंगी। इसकी लांचिंग मई में संभव है।” -प्रो. रजत मूना, पूर्व निदेशक-आईआईटी भिलाई