लोक लेखा समिति के लिए राज्यसभा सांसदों का सदस्य के तौर पर चुनाव होना हमेशा एक रूटीन प्रक्रिया के तौर पर रहा है, लेकिन इस बार मामला रोचक मोड़ लेता दिख रहा है।
लोक लेखा समिति के 7 सदस्यों के लिए आज चुनाव होना है, लेकिन 8 उम्मीदवार उतार दिए गए हैं।
दरअसल विपक्ष की ओर से एक अतिरिक्त उम्मीदवार उतारे जाने की वजह से यह मामला टाइट हो गया है।
लोक लेखा समिति के सदस्य के लिए चुनाव में उतरने वाले नेताओं में आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा, कांग्रेस के शक्तिसिंह गोहिल, भाजपा के के. लक्ष्मण, घनश्याम तिवारी और सुधांशु त्रिवेदी शामिल हैं।
इनके अलावा टीएमसी के सुखेंदु शेखर रॉय, डीएमके के तिरुचि सिवा और एआईएडीएमके के एम. थंबीदुरई भी चुनाव में उतरे हैं।
टीएमसी के एक सीनियर नेता ने कहा कि विपक्ष के एक सदस्य से उम्मीदवारी वापस लेने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया।
इसी के चलते चुनाव कराना पड़ रहा है। भाजपा के तीन उम्मीदवार के. लक्ष्मण, घनश्याम तिवारी और सुधांशु त्रिवेदी को आसान जीत मिलने की उम्मीद है।
इसके अलावा कांग्रेस के शक्तिसिंह गोहिल और डीएमके के तिरुचि सिवा का भी आसानी से जीतना तय माना जा रहा है।
लेकिन एक अतिरिक्त उम्मीदवार होने के चलते आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा और एम. थंबीदुरई के बीच मुकाबला कड़ा हो सकता है।
संसद की लोक लेखा समिति को बेहद अहम माना जाता है। कैग की रिपोर्ट्स की यही समिति जांच करती है। संसदीय पैनलों में इस कमेटी को सबसे अहम माना जाता है।
आजादी से पहले से ही इसकी परंपरा रही है। लोक लेखा समिति को लेकर एक रिवाज यह भी है कि इसकी अध्यक्षता विपक्ष के नेता के पास ही रहती है। फिलहाल इस समिति के मुखिया कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी हैं।
इलेक्शन से पता चलेगा, विपक्ष की एकता हकीकत या फिर कागजी
विपक्ष की ओर से एक अतिरिक्त कैंडिडेट उतारे जाने से मामला फंसता दिख रहा है। इस चुनाव से यह भी परीक्षा हो जाएगा कि आखिर वास्तव में कितना एक है।
नारेबाजी से इतर वह एक-दूसरे के साथ है या फिर अपने हितों को लेकर बंटा हुआ है। इस तरह यह चुनाव विपक्षी एकता के दावों का भी परीक्षण है।