विद्यार्थियों को सामाजिक सरोकारों के प्रति सजग बनाएँ, विश्वविद्यालय सामाजिक चुनौतियों के समाधान प्रस्तुत करें
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि विश्वविद्यालय परिवर्तन के वाहक बनें। समाज की उन्नति के लिए उनकी भूमिका और जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय देश की भावी पीढ़ी के निर्माण केन्द्र हैं।
आजादी के अमृत महोत्सव पर युवाओं में राष्ट्र, समाज के प्रति प्रेम और सेवा भाव जगाने के प्रयासों पर बल दिया जाये। राष्ट्रीय सेवा योजना एवं राष्ट्रीय कैडेट कोर के द्वारा विद्यार्थियों को सामाजिक सरोकारों के प्रति सजग और सक्रिय बनाया जाए।
राज्यपाल श्री पटेल आज राजभवन में प्रदेश के शासकीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को संबोधित कर रहे थे। अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा के.सी. गुप्ता, राज्यपाल के प्रमुख सचिव डी.पी. आहूजा एवं अन्य अधिकारी मौजूद थे।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय, समाज के लिए उपयोगी बनें। समाज की चुनौतियों और समस्याओं के समाधान प्रस्तुत करने में आगे आए।
उन्होंने गुजरात राज्य के जनजाति बहुल अंचल में बच्चों को दूध वितरण की पहल के सुखद परिणामों के विभिन्न आयामों को बताया। राज्यपाल ने कहा कि दूध पीने से बच्चों का नेत्र रोग रतौंधी दूर हुआ। दृष्टि बेहतर हुई। स्कूल में दूध वितरण होने से विद्यार्थियों की उपस्थिति नियमित हुई एवं कुपोषण दूर हुआ।
उन्होंने, कुलपतियों से कहा कि इसी भाव-भावना के साथ समस्या के मूल को समझ कर विश्वविद्यालय ग्राम विकास के बहुआयामी प्रयासों में सहयोग करें।
विश्वविद्यालय के आस पास के समुदायों की समस्याओं का विवेचन करें। समुदाय की भ्रामक मान्यताओं एवं धारणाओं के प्रति सामाजिक सोच में बदलाव के प्रयासों में आगे आए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और शिक्षक भी गाँवों में जाएँ। ग्राम की आर्थिक परिस्थितियों की समीक्षा करें। गरीब वंचित परिवार की जरूरतों को समझे। उनके विकास के मार्ग को प्रकाशित करें।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय पाठ्यक्रमों को समाज उपयोगी बनाएँ। विश्वविद्यालय क्षेत्रांतर्गत व्यवसायिक प्रतिष्ठानों एवं उद्योगों की मानव संसाधन की आवश्यकता का अध्ययन कर, उनकी पूर्ति के लिए पाठ्यक्रमों का निर्माण करें। पाठ्यक्रमों की अवधि की प्रासंगिकता पर भी विचार किया जाये।
राज्यपाल ने कहा कि इसी तरह समुदाय की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की जानकारी ली जाए। क्षेत्रीय स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकता की पूर्ति के लिए पाठ्यक्रमों का विकास किया जा सकता है।
उन्होंने जनजाति बहुल क्षेत्रों में सिकल सेल एनीमिया रोग, टी.बी., फाइलेरिया और थैलेसीमिया जैसे अन्य रोगों के उन्मूलन में सहयोग के लिए प्रेरित किया।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय नये पाठ्यक्रमों को शुरू करने से पूर्व उनकी उपयोगिता और सम्भावनाओं के संबंध में व्यापक स्तर पर जानकारी का प्रसार करें।
ऐसे कोर्स, जिनमें दो से तीन वर्ष तक निरंतर अपेक्षित संख्या में प्रवेश नहीं हो रहे, उन्हें स्व-वित्त पोषित पाठ्यक्रमों में परिवर्तित कर दें। उपाधि वितरण के लिए आवेदन और फीस की व्यवस्था को समाप्त करें।
विश्वविद्यालय स्वमेव उपाधि का वितरण करें। विद्यार्थियों को सूचित करें। उन्होंने परीक्षा परिणामों की समय पर घोषणा पर विशेष बल दिया।
राज्यपाल ने कहा कि पूरक सहित सभी परीक्षाओं, के परिणाम 30 जून तक घोषित हो जायें। उन्होंने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के प्रकरणों का समय सीमा में अनिवार्यत: निराकरण किया जाए और शासकीय एवं निजी महाविद्यालयों द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की छात्रवृत्तियों की जानकारी समय-सीमा में उपलब्ध कराई जाए।