क्या तालिबान को मान्यता? अफगानिस्तान को ऑनलाइन ट्रेनिंग देने पर भारत का रुख…

किसी भी देश की विदेश नीति उसके निजी हित के ऊपर निर्भर करती है। भारत भी हमेशा से अपनी विदेश नीति में अपने हित की ही तरफ देखता आया है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत रूस से अपनी दोस्ती कायम किए हुए है। तमाम प्रतिबंधों के बावदूज भारत रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहा है।

अब भारत का विदेश मंत्रालय अफगानिस्तान में तालिबान के सदस्यों की ऑनलाइन ट्रेनिंग का एक कोर्स चला रहा है। इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई है कि भारत का तालिबान के साथ ऐसे पेश आना कितना सही और कितना गलत है।

क्या भारत, तालिबान के प्रति नर्म हो रहा है। इस मुद्दे पर भारत ने गुरुवार को कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान की स्थापना को मान्यता नहीं देने की सरकार की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि काबुल में तालिबान की स्थापना के प्रति भारत सरकार के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। 

क्या है ट्रेनिंग प्रोग्राम

यह प्रशिक्षण विदेश मंत्रालय के एक विभाग ‘इंडियन टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन’ की तरफ से आयोजित इस चार दिन के ट्रेनिंग कोर्स में विदेशी सरकारी कारोबारियों, अधिकारियों, प्रबंधकों आदि को भारत के सामाजिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, सांस्कृतिक विरासत के साथ साथ आर्थिक माहौल, नियामक तंत्र, कानूनी और पर्यावरण संबंधी व्यवस्था, उपभोक्ता मानसिकता और कारोबारी जोखिम के बारे में बताया जा रहा है।

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में मंगलवार से आयोजित चार दिवसीय डिप्लोमेटिक ट्रेनिंग प्रोग्राम को लेकर जानकारों का कहना है कि अफगानिस्तान में भारत की ओर से उनकी सेना और डिप्लोमैट्स को प्रशिक्षण देता रहा है।

क्योंकि तालिबान भारत से हमेशा अच्छे रिश्ते बनाकर रखना चाहता है। इसके बावजूद भारत कभी तालिबान को मान्यता नहीं देगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsaap